पूर्वोत्तर के इस शेर ने कभी अपनी धरती पर मुगलों को नहीं रखने दिए कदम

भारतवर्ष का इतिहास वीरता के किस्सों से भरा हुआ है. एक से बढकर एक राजा महाराजा, वीर योद्धा, जिनकी हर तरफ धाक थी. वैसे तो इस देश में ऐसे वीर सपूतों ने जन्म लिया है, जिनके किस्सों से इतिहास भरा हुआ है. लेकिन फिर भी अपने ही कुछ लोगों ने भितरघात करके दुश्मनों को इस देश में घुसने का मौका दिया. अगर कुछ गद्दार नहीं होते, तो भारत में कभी कोई नहीं घुस पाता, और सोने की इस चिड़िया को लूटने का मौका भी उन्हें कभी नहीं मिल पाता. लेकिन फिर भी दुश्मनों की कुछ ख्वाहिशें कभी पूरी नहीं हो सकीं.

मुग़ल भारत में बुरी नीयत से आये थे. लेकिन फिर भी उनकी उपलब्धियों से हमारा इतिहास भरा है. पर हमारे महान राजाओं और वीर योद्धाओं के बारे में जो कुछ भी थोड़ा बहुत लिखा गया उसे भी गलत तरीके से प्रस्तुत किया है. मुग़ल साम्राज्य इस देश की रगों में घुसने वाला वो ज़हर था, जिसकी टीस आज भी बनी हुई है. मुग़ल भारत की प्राचीन गौरवशाली परम्पराओं को धूमिल करते रहे, अपने पूरे शासन काल में सभी मुगलों ने यही किया. और श्रीराम और श्रीकृष्ण के इस देश में उन्होंने सिर्फ तबाही की. और धोखेबाजी से अपना शासन कायम किया.

लेकिन फिर भी मुगलों के कुछ ऐसे सपने थे जो कभी पूरे नहीं हो सके. भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को मुग़ल कभी नहीं जीत सके. भारत का नार्थ ईस्ट कहा जाने वाला ये हिस्सा जिसमें अब कुल 8 राज्य हैं. अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, असम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम, ये सभी राज्य भारत का पूर्वोत्तर कहलाते हैं. यहाँ पर कभी अहोम राजवंश का शासन हुआ करता था. जिसने पूर्वोत्तर में लगभग 600 वर्षों तक शासन किया. और यही भारत का एकमात्र हिस्सा है, जिसे मुग़ल कभी नहीं जीत पाए. और पूरे भारत पर शासन करने का उनका सपना अधूरा ही रह गया.