प्रभु श्रीराम सत्य और रावण झूठ का प्रतीक, अंत में होती है सत्य की ही जीत

सत्य और झूठ की लड़ाई में हमेशा सत्य की जीत होती है. समय अवश्य लगता है, लेकिन दुनिया का आधार इसी पर टिका है. अगर सत्य के मार्ग पर चलते हुए कठिनाइयाँ आतीं हैं, तब भी उसे कभी नहीं बदलना चाहिए, क्योंकि सत्य ही जीवन का सार है.

ImageSource

प्रभु राम ने मानव अवतार में भी कितनी कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन हमेशा सत्य के मार्ग पर अडिग रहे. और रावण ने झूठा और छद्म वेश धारण करके माता सीता के साथ छल किया, जो उसकी क्षणिक ख़ुशी थी, और झूठ का समूल अंत हुआ. मर्यादा का पालन करना आसान नहीं है, लेकिन जो इसका पालन करते हैं, वो श्रीराम के प्रिय होते हैं. जीवन की हर कठिनाई में भगवान राम हमारा मार्गदर्शन करते हैं, बस उन्हें देखने के लिए भाव भी बहुत सरल चाहिए, और सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए.

भगवान श्रीराम धरती पर मानवरूप में जन्म लेकर आये, और मनुष्य के लिए जीवन के मूल्य स्थापित करके चले गए. उनके द्वारा किये गए महान कार्य आज भी हर इंसान को जीवन की हर कठिनाई से बाहर निकलने की प्रेरणा देते हैं. जीवन कठिन संघर्ष से बुना हुआ एक सुन्दर ताना बाना है, जहाँ उतार चढ़ाव आते ही हैं, पर उनसे भयभीत होकर इंसान समस्याओं का सामना करने की हिम्मत ही खो देता है. हर समस्या का स्वागत करना चाहिए, और प्रत्येक समस्या समाधान के लिए ही होती है. हर कहानी का अंत सुखद हो ये ज़रूरी नहीं, लेकिन हर कहानी कुछ न कुछ सिखाकर जाती है, आगे आने वाली पीढ़ियों को ये समझाकर जाती है कि, भूल हमेशा होती रहेंगी, लेकिन उस भूल को सुधारने का प्रयास तब तक करना जब तक स्वयं का मन संतुष्ट न हो जाए. सत्य का मार्ग थोडा कठिन होता है, ठीक उसी तरह जैसे सदैव सत्य बोलना कठिन होता है. पर जो सत्य बोलते हैं, और सत्य के मार्ग पर चलते हैं, उनके जीवन की समस्याएं एक दिन समाप्त हो जातीं हैं, और जो झूठ बोलते हैं, और झूठ का मार्ग अपनाते हैं, उनका सुख क्षणिक होता है, अंत में उनका पतन होना निश्चित है.