रामायण में ऐसे कई प्रसंग हैं, जिनमें भगवान राम का वनवास के दौरान अपने भक्तों से मिलन होता है. ऐसा ही एक प्रसंग है भगवान श्रीराम का उनके परम भक्त हनुमान व वानर राज सुग्रीव से मिलन. वे श्रीराम ही थे जो सुग्रीव को अपने बड़े भाई के प्रकोप से न केवल बचा सकते थे, बल्कि बाली का अंत करके सुग्रीव को छिना हुआ राज्य वापस दिलवा सकते थे, जो कि उन्होंने किया.
हनुमानजी की भगवान श्रीराम के जीवन में बड़ी ही अहम भूमिका रही है. जब भी और जहाँ भी प्रभु श्रीराम को हनुमानजी की आवश्यकता पड़ी, वो उनके कहने से पहले एक सेवक की भाँति सदैव तैयार रहे. हनुमानजी ने लंका में जाकर माता सीता के बारे में खबर लेकर उन्हें भगवान राम का सन्देश दिया. और रावण की लंका में जाकर उसे जलाते हुए ये चेतावनी भी दे दी कि, आने वाला समय उसके लिए अच्छा नहीं है. हनुमानजी ने ही सबसे पहले प्रभु राम को बताया कि, माता सीता लंका में हैं, और पूरी तरह सुरक्षित हैं.
हनुमान जी का जीवन बहुत ही प्रेरणादायक है. हनुमान जी के कुछ खास गुण बताएंगे अपनाकर आप जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकते हो. जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका की तरफ जा रहे थे. तो समुंद्र ने उनसे मेनाक पर्वत पर आराम करने के लिए कहा. लेकिन हनुमान जी ने मना कर दिया. लेकिन आमंत्रण का मन रखने के लिए हनुमान जी मेनाक पर्वत को छू कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ गए. इससे यह सीखने को मिलता हैं कि जब तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये हमे रुकना नही चाहिए.
हनुमानजी की शक्ति भी अपार थी. उनका साहस, उनका संकल्प, उनका सेवा भाव समस्त ब्रह्माण्ड में हर मनुष्य के लिए बहुत ही शिक्षाप्रद है.