नासा में कल सफल हुए मिशन मंगल अभियान में भारत की 2 बेटियों का शानदार योगदान

भारत की धरती पर सदियों से बेहद प्रतिभाशाली लोगों ने जन्म लिया है. और उन्होंने पूरी दुनिया में अपनी योग्यता का लोहा मनवाया है. एक बार फिर से भारत के लिए गौरव की बात है, मंगल ग्रह पर धरती का एक और मेहमान पहुंच गया है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 18 फरवरी की रात अपने मार्स पर्सिवरेंस रोवर को जेजेरो क्रेटर में सफलतापूर्वक लैंड कराया. इसी के साथ अमेरिका मंगल ग्रह पर सबसे ज्यादा रोवर भेजने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. नासा के मंगल ग्रह पर भेजे गए रोवर परसिवरेंस की सफलता के पीछे जिन लोगों का हाथ है उनमें से एक स्‍वाति मोहन भी हैं. स्‍वाति मोहन नासा की जेट प्रपल्‍शन लैब में इस प्रोग्राम की नेवीगेशन गाइडेंस और कंट्रोल ऑपरेशन (GNC) की हैड हैं. नासा का रोवर इसी लैब में तैयार किया गया है. इसके पीछे वर्षों की मेहनत है. नासा के इस मिशन में रोवर परसिवरेंस के साथ एक मिनी हैलीकॉप्‍टर इनज्‍यूनिटी भी सफलतापूर्वक मंगल ग्रह पर पहुंच गया है. ये इस पूरी टीम के लिए गौरव का पल है. स्‍वाति की बात करें तो वो इसकी टीम से बीते आठ वर्षों से जुड़ी हैं.

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स्‍वाति के ऊपर मार्स रोवर परसिवरेंस को सही जगह पर उतारने और इसके लिए एकदम सही जगह का चयन करने की जिम्‍मेदारी थी. वो केवल इसी मिशन के साथ जुड़ी नहीं रही है बल्कि इससे पहले वो शनि ग्रह पर भेजे गए कासिनी यान और नासा के चांद पर भेजे गए ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लैबोरेटरी (ग्रेल) यान से भी जुड़ी रह चुकी हैं.

भारतीय मूल की वनीजा रूपाणी ने दिया था हेलिकॉप्टर को नाम

नासा के इस मिशन में रोवर परसिवरेंस के साथ एक मिनी हैलीकॉप्‍टर इनज्‍यूनिटी भी मंगल ग्रह पर पहुंचा है, और गर्व की बात है कि, भारतीय मूल की वनीजा रूपाणी (17) ने हेलिकॉप्टर को इंजीन्यूटी नाम दिया है. हिंदी में इसका मतलब है कि, किसी व्यक्ति का आविष्कारी चरित्र. वनीजा अलबामा नॉर्थ पोर्ट में हाई स्कूल जूनियर हैं. मंगल हेलिकॉप्टर के नामकरण के लिए नासा ने ‘नेम द रोवर’ नाम से एक प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें 28,000 प्रतियोगी शामिल हुए थे. इसमें वनीजा की ओर से सुझाए गए नाम को फाइनल किया गया. नासा ने बताया कि मंगल के वातावरण में यह छोटा हेलिकॉप्टर सतह से 10 फीट ऊंचा उठकर एक बार में 6 फीट तक आगे जाएगा.