सनातन धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक चैत्र नवरात्रि का त्योहार 13 अप्रैल से शुरु हो गया है, और अब अपने आखिरी दौर में है. आज सप्तमी है और इस दिन माता काली की पूजा की जाती है. दुनिया भर में हिंदू समुदाय के लिए चैत्र नवरात्रि का उत्सव महत्वपूर्ण माना जाता है. चैत्र नवरात्रि, जैसे शरद या महा नवरात्रि, देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों को समर्पित है, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘नवदुर्गा’ के रूप में जाना जाता है। इन नौ रूपों या अवतारों में से प्रत्येक की पूजा हर दिन की जाती है. इस साल के चैत्र नवरात्र के पहले दिन पुजारी सत्येंद्र दास जी ने रामजन्मभूमि के अस्थाई मंदिर में कलश स्थापना की. इस दिन से यहां हर रोज विधिपूर्वक पूजा हो रही है.
21 अप्रैल को रामनवमी है इस दिन रामजन्मभूमि पर विधिवत रामलला का भव्य जन्मोत्सव मनाया जाएगा. इन दिनों पूरे देश में कोरोना का क़हर है, ऐसे में मंदिर में पूजा करते समय सुरक्षा के सभी नियमों का पालन किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार अभी एक साथ पांच लोगो को दर्शन करने की मनाही है.
रामजन्मभूमि के अस्थाई मंदिर में विराजमान भगवान श्री रामलला के दरबार में चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास द्वारा कलश स्थापना की गई. चैत्र नवरात्र के पहले दिन प्रभु श्रीराम के साथ उनके तीनों भाईयों का दूध से अभिषेक किया गया. जानकारी के अनुसार, रामनवमी वाले दिन 16 विधियों द्वारा पूजा की जाएगी. क्योंकि इस समय पावन पर्व चल रहा है ऐसे में दुर्गा मां और रामायण का पाठ भी यहां हो रहा है.
जो भक्त अभी तक यहां नहीं आए हैं और जो आने का मन बना रहे हैं, उन्हें कुछ बातो को ध्यान रखना अनिवार्य है जैसे कि-
1. एक साथ 5 श्रद्धालु नहीं आ सकते.
2. मास्क लगाना अनिवार्य है.
3. प्रसाद वितरण नहीं किया जा रहा है.
मंदिर से जुड़े अधिकारी ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि कोरोना काल का समय है इसलिए घरों में रहकर पूजा करें. उनका कहना है, कि पूजा का भाव अच्छा होगा तो फल भी अच्छे प्राप्त होंगे.