प्रधानमंत्री मोaदी सख्त छवि वाले ऐसे नेता के रूप में जाने जाते हैं, जो जनता से किया हर वादा पूरा करते हैं। यही वजह है, कि देश में उनसे ज्यादा लोकप्रिय नेता कोई और नहीं है। उन्होंने अपने शासनकाल में कई अच्छे और जनहित के काम करके, अपनी छवि को और भी बेहतर किया है। कहते हैं भाग्य का साथ भी उन्हें ही मिलता है, जो कर्मशील होते हैं। इस कहावत को भी पीएम मोदी ने चरितार्थ किया है। यही वजह है कि उन्हें श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में बनाए जा रहे भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
इसी क्रम में प्रधानमंत्री की अयोध्या में बनने जा रहे श्रीराम मंदिर के प्रति आस्था और उनके उस समय के फोटो और बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गए हैं, जब उन्होंने अयोध्या का दौरा किया था। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी भी अन्य राम भक्तों की ही तरह बहुत पहले से श्रीराम मंदिर बनते देखना चाहते थे। इसी के चलते वे वरिष्ठ भाजपा नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ उस रथयात्रा में शामिल थे, जो सोमनाथ से चलकर अयोध्या जाने वाली थी।
यह यात्रा वर्ष 1990 में काफी चर्चा में रही थी। श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाने के लिए आडवाणीजी ने 25 सितंबर 1990 को यह रथ यात्रा की थी, जिसे अलग-अलग राज्यों से होते हुए 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुँचना था। इस समय प्रधानमंत्री मोदी भाजपा की चुनाव समिति के सदस्य थे, और उन पर इस रथ यात्रा के समन्वय की जिम्मेदारी भी थी। हालांकि यह रथ यात्रा अयोध्या तक नहीं पहुँच सकी थी।
लेकिन प्रधानमंत्री मोदी 1991 में एक बार फिर रामलला के दर्शन करने व श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाने, अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या पहुँचे थे। उस दौर में वहाँ उपस्थित पत्रकारों को जोशी ने ही बताया था कि मोदी गुजरात से आए हैं। जब पत्रकारों ने प्रधानमंत्री मोदी से यह पूछा कि अब आप अगली बार अयोध्या कब आएँगे तो उन्होंने कहा था, कि “वे अब अयोध्या तभी आएँगे जबकि भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरु होगा।“
प्रधानमंत्री के शब्दों में कितनी सच्चाई थी कि लगभग 29 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद उनकी बात न सिर्फ सही साबित हुई बल्कि श्रीराम मंदिर निर्माण की नींव भी उन्हीं के हाथों रखी जाएगी।