तमिलनाडु राज्य के चिदंबरम शहर में भगवान शिव जी के मंदिर में नटराज के रूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस मंदिर की एक विशेष बात यह कि इस मंदिर की सभी मूर्तियां कांसे से बनी हुई है. जानकारी के अनुसार ये 10वीं-12वीं सदी के काल की बनी हुई है. कहते हैं चिदंबरम शहर का ये मंदिर प्रकृति के पांच महत्वपूर्ण तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है.
सोने से बना मंदिर का शिखर कलश
चिदंबरम शहर का ये मंदिर कई वर्षों पहले बना था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी जगह भगवान शिव ने आनंद नृत्य किया था. इस सात मंजिला मंदिर में कुल नौ द्वार और नौ गोपुरम हैं. इन गोपुरम पर कई प्रकार की चित्रकारी की गई हैं जो मंदिर की भव्यता को और बढ़ाती है. इस मंदिर के शिखर पर सोने का कलश रखा गया है. और मंदिर के खंभों पर भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राओं को बड़ी बारीकी से उकेरा गया है.
किवदंती : यहां पार्वती जी ने मान ली हार
माना जाता है कि यहां भगवान श्री गोविंद राजास्वामी रहा करते थे. भगवान शिव राजास्वामी से मिलने यहां आए थे और उनसे शिव-पार्वती के बीच नृत्य प्रतिस्पर्धा के निर्णायक बनने के लिए कहा था. उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और फिर प्रतिस्पर्धा शुरू हुई. प्रतिस्पर्धा बहुत देर तक चली. कुछ क्षण बीतने के बाद भगवान शिव युक्ति जानने के लिए श्री गोविंद जी के पास आए. गोविंद जी ने उन्हें पैर से उठाई मुद्रा में नृत्य करने का संकेत दिया. नृत्य में यह मुद्रा महिलाओं के लिए वर्जित थी. तो जैसे ही भगवान शिवजी ने इस मुद्रा को धारण किया तो पार्वती जी ने स्वयं ही पराजय स्वीकार कर ली. कहते हैं, उसी समय से भगवान शिव जी का नटराज वाला रूप यहां पर स्थापित हो गया.
नृत्य महोत्सव का होता है आयोजन
गोविंदराज और पंदरीगावाल्ली का मंदिर भी चिदंबरम मंदिर के इसी भवन में स्थित है. इस मंदिर में एक भव्य तालाब और नृत्य परिसर भी है. यहां पर हर वर्ष नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन में देशभर के कलाकार भाग लेते हैं. आपको बताना चाहेंगे कि नटराज शिव की मूर्ति कई आभूषणों से सजी हुई है, और नटराज मुद्रा में उनकी छवि अनुपम है. नटराज को नृत्य का स्वामी माना जाता है, और इसी वजह से भरतनाट्यम नृत्य के कलाकारों में भी इस जगह का खासा महत्व है.