भगवान श्रीराम हम सबकी आत्मा हैं, और जन मानस के हृदय में बसते हैं। अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए पिछली पांच सदियों में अनगिनत रामभक्तों ने संघर्ष किया, और हर रामभक्त की इच्छा और उनकी आध्यात्मिक शक्ति के परिणामस्वरूप आज श्रीराम के एतिहासिक और भव्य मंदिर का शिलान्यास होने जा रहा है। कहा भी जाता है कि जब जन-जन की इच्छाएं इकट्ठा हो जाती हैं तो वह ईश्वर की इच्छा का रूप ले लेती हैं। ImageSource
प्रभु राम के इन्हीं भक्तों में से एक हैं मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर की 81 वर्ष की श्रीमती उर्मिला चतुर्वेदी। आज से लगभग 28 साल उन्होंने ये संकल्प लिया था कि जब तक भगवान राम मंदिर का निर्माण शुरू नहीं होगा, वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगी। वे इतने सालों से अपने संकल्प पर कायम हैं और उन्होंने कभी अपना व्रत नहीं टूटने दिया। अब जब 5 अगस्त को अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन होने जा रहा है, तो इसके साथ ही उर्मिलाजी का अपना संकल्प भी पूरा हो रहा है।
बस, कुछ घंटों बाद 5 अगस्त को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का भूमिपूजन होने जा रहा है, तो उर्मिला चतुर्वेदी की इच्छा है कि अयोध्या में रामलला के दर्शन करके ही वे अपना संकल्प खोलें, लेकिन कोरोना संक्रमण गाइडलाइन और दिशा-निर्देशों के चलते ऐसा संभव नहीं दिख रहा है। 5 अगस्त को अयोध्या में किसी भी बाहरी का पहुंचना मना है, ऐसे में संभव है कि वे घर पर बैठकर कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट देखने के बाद अपना संकल्प पूरा करें।
अन्न ग्रहण किए बिना 28 सालों से राम का नाम जपते हुए श्रीमती उर्मिला चतुर्वेदी आध्यात्मिक जीवन बिता रही हैं। भूमिपूजन वाले दिन अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने की इच्छा पूरी नहीं होने पर वे कुछ असहज हैं, लेकिन उनका कहना है कि उनका संकल्प पूरा हो ही गया है, अब वे अपना शेष जीवन अयोध्या में ही भगवान श्री राम की शरण में उनके नाम का जाप करते हुए बिताना चाहती हैं, इसके लिए वे जल्द ही अयोध्या में थोड़ी-सी जगह भी तलाशेंगी।
उर्मिलाजी ने जब श्री राम मंदिर निर्माण शुरू होने तक अन्न ग्रहण न करने का संकल्प लिया तो इसके बाद से उनका अधिकांश समय पूजा-पाठ और रामायण पढ़ने में बीतने लगा। पिछले कई सालों से उनकी दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं आया है। वे सुबह जल्दी जाग कर पूजा करने के बाद घर के बच्चों के साथ समय बिताती हैं और उसके बाद रामायण पढ़ती हैं। इस बीच, कई बार घर के अन्य सदस्य भी उनके साथ रामायण या गीता पढ़ते हैं।ImageSource
कई बार ऐसा अवसर भी आया जब परिवार के लोगों ने उनसे अन्न त्यागने का संकल्प खत्म करने का आग्रह किया, लेकिन उर्मिलाजी किसी भी परिस्थिति में संकल्प तोड़ने को राजी नहीं हुईं। 28 सालों से उन्होंने अन्न ग्रहण नहीं किया, वे केवल फलाहार कर रही हैं। उर्मिलाजी के घर में राम दरबार है, जहां वे रोज राम नाम का जप करती हैं। वास्तव में हमारे देश में अध्यात्म और संकल्प शक्ति का बहुत महत्व है। यही कारण है कि जब सच्चे मन से कोई संकल्प लेता है तो वह अवश्य पूरा होता है। अयोध्या में भगवान श्री राम के विशाल मंदिर निर्माण में असंख्य लोगों की संकल्प शक्ति, त्याग, तपस्या और साधना फलीफूत हुई है, इसमें कोई संदेह नहीं।