शिवकाशी में मिला 1200 साल पुराना अद्भुत मंदिर, आज तक नहीं है देश में इस तरह का कोई और मंदिर

सनातन धर्म इतना महान है कि, सृष्टि की पूरी संरचना ही इस धर्म के इर्द गिर्द टिकी हुई है. ये वो धर्म है जिसमें सदियों से देवी देवताओं के अद्भुत और छोटे बड़े मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक रहे हैं.

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अभी हाल ही में तमिलनाडु के शिवकाशी के पुधूपट्टी गांव में अर्जुन नदी के तट पर एक 1200 साल पुराना मंदिर मिला है. इस मंदिर को देखने के लिए लोग दूर दूर से आ रहे हैं. पूरी तरह से चूने के पत्थरों से बने इस मंदिर को पहाड़ों को काटकर और उनकी बड़ी बड़ी चट्टानों से बनाया गया है. इस मंदिर में तीन चैंबर हैं. आसपास के लोगों का कहना है कि, कुछ दिन पहले इस मंदिर के अनोखे ढांचे को लोगों ने देखा था, और उसके बाद यहाँ पुरातत्व विभाग के लोगों ने आकर इस मंदिर से जुड़ी पड़ताल शुरू कर दी, और उनके अनुसार ये एक रॉक-कट मंदिर है, जो चट्टानों को काटकर बनाया गया है.

ख़ास बात ये है कि, मंदिर में किसी भी देवी या देवता कि कोई प्रतिमा नहीं है. मंदिर के तीनों चैम्बर यानि कक्षों की पहचान कर ली गई है. इनमें से एक गर्भगृह है, दूसरा अर्धमंडपम है और तीसरा महामंडपम. पुरातत्वविदों का कहना है कि, मंदिर में एक 20 फीट लम्बा चूने के पत्थर से बना टीला है. जो शायद इसका प्रवेश द्वार रहा होगा. मंदिर की दीवारों और छत में सीमेंट से बने निशान हैं.

पुरातत्व विभाग की टीम ने आगे जानकारी देते हुए बताया ये बहुत ही ख़ास मंदिर है, जिसकी प्रमुख वजह है कि, ये संधारा-प्रकार का मंदिर है. भारत में संधारा-प्रकार के रॉक-कट मंदिर की इससे पहले कोई पहचान नहीं की गई है. और मंदिर को पूरी तरह से चूने के पत्थर से तराशकर बनाया गया है. और ये पत्थर अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण बहुत अनोखा है. और यही कारण है कि मंदिर में कोई कलात्मक डिजाइन, मूर्तिकला या नक्काशी नहीं है. गर्भगृह में पत्थर से बनी हुई एक नाग प्रतिमा है. अनुमान लगाया जा रहा है कि, लगभग 100 साल पहले इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया होगा, और स्थानीय लोग यहाँ पूजा पाठ करते होंगे. इसी कारण मंदिर में नाग देवता की प्रतिमा है.