चमत्कारों से भरी हुई है ये दुनिया. प्रकृति में आज भी जो चीजें हैं, वो किसी चमत्कार से कम नहीं. इसके पीछे कोई विज्ञान नहीं, कोई तथ्य नहीं. पेड़, पौधे, पहाड़, नदियाँ, हवा सबकुछ कुदरत ने ही तो दिया है, ये किसी चमत्कार से कम नहीं है. लेकिन कुछ ऐसी चीज़ें भी हैं, जो इंसान द्वारा निर्मित है, और इंसान ही उसका रहस्य नहीं सुलझा सके. ऐसा ही एक मंदिर है महाराष्ट्र के औरंगाबाद में. भगवान शिव का ये मंदिर किसी रहस्य से कम नहीं है. इस रहस्यमयी मंदिर की कुछ बातें ऐसी हैं, जिन्हें वैज्ञानिकों का नजरिया भी नहीं समझ सका. कुछ वैज्ञानिक इस मंदिर को 1900 साल पुराना मानते हैं, तो कुछ 6000 साल से भी ज्यादा पुराना. इस मंदिर की सबसे अद्भुत बात ये है कि, इसे किसी भी तरह की ईंटों या पत्थरों को जोड़कर नहीं बनाया गया. बल्कि केवल एक ही पत्थर से इस मंदिर का निर्माण किया गया है. इसलिए ये कहना बहुत मुश्किल है कि, इसका निर्माण कब हुआ था. क्योंकि इस मंदिर को बनाने में ऐसी किसी भी चीज़ का इस्तेमाल नहीं हुआ, जिससे ये पता चल सके, कि इस मंदिर का निर्माण कब हुआ था.
कहा जाता है कि, इस मंदिर को बनाने में लगभग 18 वर्ष का समय लगा. लेकिन इसकी निर्माण शैली को देखकर वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि, जिस तरह ये 100 फीट ऊंचा मंदिर बनाया गया है, उसे देखकर लगता है कि, 18 साल में ये मंदिर बनना असंभव है. ख़ास बात ये है कि, इस मंदिर को नीचे से ऊपर की तरफ नहीं बल्कि ऊपर से नीचे की तरफ बनाया गया है. जिस तरह खुदाई की जाती है, अगर इसको बनने के लिए उसी तरह की खुदाई भी की गई होगी, तो इस मंदिर में कम से कम 5 लाख टन पत्थर निकलकर आये होंगे. इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि, उस समय के हिसाब से इसके निर्माण में कम से कम 200 साल का समय लगा होगा.