कर्म के अलावा इंसान के पास कोई विकल्प नहीं, सदियों पहले सिखा गए भगवान श्रीकृष्ण

एक कहावत है समय से पहले और भाग्य से ज्यादा न कभी किसी को मिला है और न ही मिलेगा। इसका मतलब यह नहीं कि हम सिर्फ भाग्य के भरोसे बैठे रहें , भाग्य भी तभी साथ देगा जब व्यक्ति कर्म करेगा, क्योंकि यह दुनिया कर्म-प्रधान है। यह जीवन जिस तरह से चलता रहता है, उसकी इच्छाएं भी अनंत होती हैं। यह सोचना जरूरी है कि बिना पुरुषार्थ यानी कर्म के भोजन नहीं मिल सकता है और बिना कर्म के किसान खेती भी नहीं कर सकता है।

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यह भी सोचने की बात है कि कर्म समान होने के बावजूद, भाग्य अलग-अलग हो सकते हैं। इसीलिए जीवन में अपनी तुलना किसी और से मत करो, जीवन बहुत सुंदर है इसे और सुंदर बनाना चाहिए। जिंदगी का हर पल खुशी से जीना चाहिए, क्योंकि वक्त जैसा भी हो इतनी जल्दी गुजर जाता है कि पता भी नहीं चलता है। कहा जाता है कि मन और मकान को वक्त- वक्त पर साफ करना बहुत जरूरी है, क्योंकि मकान में बेमतलब सामान और मन में बेमतलब गलतफहमियां भर जाती हैं। किसी ने बड़ी अच्छी बात की है- अगर आपको फसल पसंद नहीं है, तो आप उन बीजों की जांच कीजिए, जो आप बो रहे हैं। इसलिए जीवन का आनंद लेना चाहिए, खुशी के साथ हंसें, अपनी मुस्कान न छिपाएं।

किसी भी बात पर दु:खी होने में जल्दी नहीं दिखानी चाहिए, क्योंकि जीवन बहुत सुंदर है। व्यक्ति को यह भी याद रखना चाहिए कि किसी दिन बुरा वक्त समाप्त हो जाएगा, क्योंकि हम अमर नहीं हैं। अपने जीवन में कम से कम एक बार कोशिश करें कि आप क्या चाहते हैं। बिना यह सोचे कि कौन क्या सोचेगा और क्या कहेगा, प्रयास कीजिए, यह आपकी जिंदगी है। आपके प्रयास बेकार नहीं हैं, थोड़ा इंतजार करेंगे तो वे उचित लगेंगे।

हमेशा याद रखें कि सबसे अच्छी उम्मीद रखें, आपके लिए हमेशा वही होगा जो आप उम्मीद करते हैं। जीवन को हमेशा हिम्मत के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है। जीवन में सकारात्मकता की तलाश करें, छोटी-छोटी खुशियों में भी आनंदित होना सीखें।

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भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता के उपदेश में भाग्य के बजाय कर्म की सीख दी है। उन्होंने गीता के उपदेश में अर्जुन से कहा है कि आपका तो कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों पर नहीं, क्योंकि, फल देना ईश्वर के हाथ में है। इसलिए न कर्म से भागना उचित है और न ही कर्म के फल की आशा करना उचित है। केवल कर्म ही मनुष्य का भाग्य बदल सकता है। महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण की कहीं ये बातें आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जितनी तब थीं। आजकल अधिकतर लोग कर्म करने से पहले ही उससे मिलने वाले फल के बारे में सोचते हैं और फिर जब उम्मीद के अनुसार फल नहीं मिलते हैं तो निराश हो जाते हैं। कर्म का फल कैसा मिलेगा, ये भगवान पर छोड़ देना चाहिए। जो लोग धर्म के अनुसार काम करते हैं, भगवान का स्मरण करते हैं, उन्हें सफलता जरूर मिलती है। यह भी तो सोचें कि भगवान कभी किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, लेकिन आप कर्म से पीछे हटेंगे तो फिर फल की उम्मीद कैसे रखी जा सकती है। यह भी सच है कि भगवान कर्म के आधार पर ही भाग्य तय करते हैं, इसलिए जीवन को सफल बनाने के लिए कर्म के अलावा कोई रास्ता नहीं।