सफल व्यक्ति बनने से अच्छा है बने सिद्धांतों वाला व्यक्ति

आज की आधुनिकता से भरी दुनिया में हर तरफ जो शानो शौकत और चकाचौंध दिखाई देती है, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इन सबके पीछे कहीं न कहीं विज्ञान है. भौतिक संसाधनों के पीछे भी विज्ञान की ही अहमियत होती है. ऐसा नहीं है कि विज्ञान इसी युग की देन है, सदियों से लेकर आज तक जीवन और समाज में बदलाव का मुख्य स्वरूप यही विज्ञान होता है. हमारे वेद पुराण ऐसे कई तथ्यों से भरे हुए हैं जिनमें कहीं न कहीं विज्ञान की प्रमाणिकता है. बहरहाल जब विज्ञान की बात आती है तो उसके साथ वैज्ञानिक का जिक्र होना लाजिमी है. क्योंकि ये दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं. और इसी क्षेत्र में काम करने वाले एक महान वैज्ञानिक थे अल्बर्ट आइंस्टीन, जिन्हें सफल होने से ज्यादा सिद्धांतवादी होना पसंद था.

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अल्बर्ट आइंस्टीन दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक थे जो अपने सिद्धांतवादी व्यक्तित्व की वजह से दुनियाभर में मशहूर थे. इनका जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी में हुआ था. इन्हें 1921 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था. जानकारी के अनुसार अल्बर्ट आइंस्टीन ने कई शोध-पत्र और किताबें लिखीं थीं. और 18 अप्रैल 1955 को उन्होंने अपने जीवन की अन्तिम सांस ली. जानकारी के अनुसार बचपन में आइंस्टीन को याद करने में काफी समय लगता था. उनके जीवनी लेखक के अनुसार, आइंस्टीन ने तीन साल की उम्र में पहली बार बात करना शुरू किया था.
अल्बर्ट आइंस्टीन के विचारों और सिद्धांतों में कितनी महानता थी, इसका अनुमान उनकी कही हुई इन बातों से लगाया जा सकता है.

1.विपरीत परिस्थिति में जाने के लिए यानी कठिन काम करने के लिए थोड़े सी योग्यता और बहुत सारे साहस की जरूत होती है.

2.ज्ञान का एकमात्र स्त्रोत अनुभव है. अनुभव से जो ज्ञान मिलता है, वह जीवनभर साथ देता है.

3 दुनिया को नुकसान पहुंचाने वालों से खतरा नहीं है, बल्कि उन लोगों से है जो नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को देखकर भी उन पर ध्यान नहीं देते हैं और चुप रहते हैं.

4.हमें खेल शुरू होने से पहले सभी नियमों को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए, तभी हम दूसरों की अपेक्षा ज्यादा अच्छा खेल सकते हैं.