अभिनेता श्रीकांत सोनी ने निभाया था रामायण में महर्षि विश्वामित्र का किरदार

प्रोड्यूसर-डायरेक्टर रामानंद सागर द्वारा बनाई ‘रामायण’ भारतीय इतिहास के सबसे लोकप्रिय टीवी सीरियलों में से एक है। इसका एक-एक सीन दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है। 25 जनवरी 1987 को दूरदर्शन पर इसका पहला एपिसोड दिखाया गया था जबकि 31 जुलाई 1988 को आखिरी एपिसोड प्रसारित हुआ था। बीते दिनों लॉकडाउन के दौरान भी ‘रामायण’ का प्रसारण किया गया था। पिछली बार की तरह इस बार भी लोगों ने ‘रामायण’ को इतना प्यार दिया कि वर्ल्ड रिकॉर्ड बन गया। ‘रामायण’ ही नहीं बल्कि इसके एक-एक किरदार को इतनी प्रसिद्धि मिली कि आज भी इनकी पहचान ‘रामायण’ के किरदार से ही होती हैं।

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‘रामायण’ में ऐसा ही एक मशहूर किरदार है ऋषि विश्वामित्र का, जिसे निभाया था गुजराती सिनेमा के अभिनेता श्रीकांत सोनी ने। ऋषि विश्वामित्र के किरदार के लिए श्रीकांत सोनी रामानंद सागर की पहली पसंद थे। उनके चेहरे का तेज और कठोर शास्त्रों में वर्णित ऋषि विश्वामित्र के किरदार से मेल खाता है। श्रीकांत सोनी ने भी ऋषि विश्वामित्र का किरदार इस तरह निभाया कि वह लोगों के दिलों में बस गए। हालांकि बहुत कम लोगों को पता होगा कि श्रीकांत ‘रामायण’ में केवट का किरदार निभाने के लिए रामानंद सागर पास पहुंचे थे, लेकिन रामानंद सागर ने उन्हें ऋषि विश्वामित्र का किरदार दिया।

दरअसल श्रीकांत को जब पता चला कि रामानंद सागर ‘रामायण’ बना रहे हैं तो वह केवट के किरदार के लिए ऑडिशन देने रामानंद सागर के ऑफिस पहुंचे, लेकिन रामानंद सागर ने उन्हें केवट का किरदार देने से मना कर दिया। इस पर श्रीकांत निराश होकर अपने घर लौट गए। तीन दिन बाद रामानंद सागर ने वापस श्रीकांत को अपने ऑफिस बुलाया। श्रीकांत जब रामानंद सागर के ऑफिस पहुंचे तो उन्हें ऋषि के गेटअप में तैयार किया गया। जब श्रीकांत ने जिज्ञासावश पूछा कि मुझे ऋषि का गेटअप क्यों दिया जा रहा है तो रामानंद सागर ने जवाब दिया कि आपका चयन ‘रामायण’ में ऋषि विश्वामित्र के किरदार के लिए किया गया है।

रामानंद सागर का जवाब सुनकर श्रीकांत हैरान हो गए। उन्होंने रामानंद सागर से कहा कि इस किरदार के लिए संस्कृत का ज्ञान होना जरूरी है, लेकिन मुझे संस्कृत नहीं आती है। मैं इस किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाऊंगा। इस पर रामानंद सागर ने उनसे कहा कि आप इसकी चिंता न करें, मैं आप से यह किरदार करवा लूंगा। जब श्रीकांत ने रामानंद सागर से पूछा कि आपने इस किरदार के लिए मुझे ही क्यों चुना तो रामानंद सागर ने कहा कि विश्वामित्र ऋषि बनने से पहले एक राजा थे। इसलिए मुझे ऐसा व्यक्ति चाहिए था, जिसके मुख पर राजा के समान तेज हो। तुम्हारे चेहरे पर वह तेज साफ़ झलक रहा है। इस तरह श्रीकांत को ‘रामायण’ में ऋषि विश्वामित्र का किरदार मिला।