भगवान गौतम बुद्ध ने अपनी जातक कथाओं के माध्यम से हमें जीवन में कभी भी गलत काम ना करने का संदेश दिया है। साथ ही उनकी कही जातक कथाओं से यह भी संदेश मिलता है कि हमें हर समय सचेत रहना चाहिए क्योंकि विपत्ति कभी भी हमें बताकर नहीं आती है। भगवान गौतम बुद्ध द्वारा कही गई ऐसी ही एक जातक कथा है कि किसी समय एक दुष्ट व्यक्ति रहता था, जो आसानी से किसी भी व्यक्ति का रूप धारण कर सकता था। उस समय हिमालय के पास एक सन्यासी अपनी कुटिया में रहते था। सन्यासी के पास रोजाना कई कबूतर प्रवचन सुनने के लिए आते थे।
एक बार सन्यासी अपनी कुटिया छोड़कर थोड़े दिनों के लिए कहीं और चले गए। दुष्ट व्यक्ति को जब इस बारे में पता चला तो वह सन्यासी का रूप धारण करके कुटिया में रहने लगा। दुष्ट व्यक्ति रोजाना सन्यासी बनकर बस्ती में जाता था और अच्छे-अच्छे पकवान खाने का आनंद लेता था। उसे मसालेदार पकवान खाने में बहुत मजा आता था। एक दिन दुष्ट व्यक्ति के मन में कुटिया के आसपास रहने वाले कबूतर को पकड़कर मसालेदार स्वादिष्ट व्यंजन बनाने का विचार आया। यह सोचकर दुष्ट व्यक्ति बस्ती से मसाले लेकर कुटिया में आ गया।
दुष्ट व्यक्ति कबूतर को पकड़ने के लिए उन्हें पुचकारते हुए पास आने का प्रलोभन देने लगा। कबूतर भी दुष्ट व्यक्ति को सन्यासी समझकर उसके पास जाने लगे। उनमें से एक कबूतर बुद्धिमान था। उसे जब कुटिया से मसालों की खुशबू आई तो उसने तुरंत अपने साथियों को सावधान किया और दुष्ट व्यक्ति के पास ना जाने के लिए कहा। अपने साथी कबूतर की बात सुनकर सभी कबूतर दुष्ट व्यक्ति के पास जाने की बजाय उससे दूर चले गए। कबूतरों को अपने से दूर जाता देख दुष्ट व्यक्ति ने अपने पास रखा डंडा जोर से कबूतरों को फेंककर मारा, लेकिन कबूतरों की सवाधानी के कारण डंडा किसी को नहीं लगा।
कबूतरों को पकड़ ना पाने की निराशा में दुष्ट व्यक्ति जोर से चिल्लाया कि, ‘चले जाओ आज तुम बच गए।’ उसकी बात सुनकर बुद्धिमान कबूतर बोला कि, ‘हम तो अपने अच्छे कर्मों के कारण बच गए हैं, लेकिन तुझे तेरे बुरे कर्मों की सजा अवश्य मिलेगी। तू जल्दी से यह कुटिया छोड़कर चला जा, वरना मैं बस्ती में जाकर सबको तेरी सच्चाई बता दूंगा।’ कबूतर की बात सुनकर दुष्ट व्यक्ति डर गया और तुरंत कुटिया छोड़कर भाग गया।