किसी को अपना राजा बनाने से पहले दस बार सोचना ‌चाहिए

मनुष्य को अपने क्रोध पर सदैव नियंत्रण रखना चाहिए। क्रोध करने के लिए परिणाम हमेशा हानिकारक होते हैं। क्रोध के कारण हमारे बने-बनाए काम बिगड़ जाते हैं। क्रोध करने वाले मनुष्य का खुद की वाणी पर भी नियंत्रण नहीं रहता है, जिससे उसके संबंध भी ख़राब होते हैं।

क्रोध सबसे पहले क्रोध करने वाले मनुष्य को नुकसान पहुंचता है और उसके बाद उसके आसपास रहने वाले व्यक्तियों को। इसलिए हमें क्रोध करने से भी बचना चाहिए और क्रोध करने वाले मनुष्यों से दूर रहना चाहिए। तो चलिए आज हम भगवान गौतम बुद्ध द्वारा कही गई ऐसी ही एक जातक कथा के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं कि क्रोध के कारण कैसे उल्लू को नुकसान उठाना पड़ा।

जातक कथा है कि किसी समय मनुष्य अपने में से किसी योग्य और गुणवान व्यक्ति को अपना राजा बनाते थे। मनुष्यों को देखकर जंगल के जानवरों ने भी शक्तिशाली सिंह को अपना राजा घोषित कर दिया। इसके बाद मछलियों ने एक विशाल मत्स्य को अपना राजा बनाया। मनुष्य, जानवर और मछलियों के बाद पक्षियों के बीच भी अपना राजा चुनने की चर्चा शुरू हो गई। इसके लिए पक्षियों की एक सभा बुलाई गई। सभा में सभी पक्षियों ने काफी सोच-विचार करने के बाद राजा नियुक्त करने के लिए अपना-अपना मत दिया। ज्यादातर पक्षी उल्लू को अपना राजा बनाने के पक्ष में थे। इस कारण उल्लू को पक्षियों का राजा नियुक्त करने की घोषणा की गई।

इसके बाद उल्लू का राज्याभिषेक करने की तैयारी हुई और सभी पक्षी एक जगह जमा हो गए। उल्लू के राज्याभिषेक से पहले जब एक बार फिर से उल्लू को राजा नियुक्त करने की घोषणा की गई। इस दौरान वहां मौजूद कौवा उल्लू के राजा बनने का विरोध करने लगा। कौवे ने वहां उपस्थित सभी पक्षियों से कहा कि उल्लू क्रोधी स्वभाव का है। इसलिए उल्लू को राजा नहीं बनाना चाहिए। उल्लू की एक वक्र दृष्टि से ही लोग गर्म हांडी में रखे तिल की तरह फूटने लगते हैं।

कौवे की बात सुनकर उल्लू को अपने स्वभाव के अनुसार क्रोध आने लगा। वह तुरंत कौवे को मारने के लिए उसके पीछे झपट पड़ा। उल्लू को अपनी तरफ आता देख कौवा वहां से भाग गया। इस बीच जब सभी पक्षियों ने उल्लू का यह स्वभाव देखा तो उन्हें अपने फैसले पर पछतावा हुआ। उन्होंने सोचा है कि जो अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख सकता है, वह कभी भी राजा बनने के योग्य नहीं है। इसके बाद सभी पक्षियों ने हंस को अपना राजा बनाया। वहीं उल्लू अपने क्रोध के कारण हंस को राजा बनते हुए देखता रह गया। उसे अपने क्रोधित स्वभाव पर पछतावा हुआ।