पांच मन्दिर, पांच कहानी, अधूरी मानी जाती है इनके बिना, बद्रीनाथ धाम की यात्रा

देवताओं की भूमि उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम का जितना महत्व है. उतना ही विषणु जी के पांच मंदिरों का भी है. असल में ये 5 मंदिर भी बद्रीनाथ धाम के ही अंग हैं. साथ ही आपको बता दें कि कुछ ऐेसे स्थान है जो साल भर खुले रहते हैं तो कुछ चारधाम की तरह नियमों का पालन करते हैं अर्थात् चारधाम के नियम की तरह कपाट खुलते और बंद होते हैं. श्री बद्री नारायण, योग-ध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री को पंच बद्री तीर्थ कहा जाता है. मान्यता है कि इन पांच मंदिरों में दर्शन नहीं करते हैं तो आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है.
जानकारी के अनुसार, प्राचीन काल में बद्रीनाथ धाम मंदिर के क्षेत्र में जंगली बेरों के कई पेड़ हुआ करते थे. यही कारण है कि इसे बद्री वन भी कहा जाता है. और इस क्षेत्र से जुड़ी और भी कई मान्यताएं प्रचलित हैं जैसे “यहीं पर एक गुफा में वेदव्यास जी ने महाभारत लिखी थी और पांडवों के स्वर्ग जाने से पहले उनका आखिरी पड़ाव यही था”.

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बद्रीनाथ धाम: जानकारी के अनुसार शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में बद्रीनाथ धाम का निर्माण कराया था. यहां पर बद्रीनाथ जी की चारभुजा वाली मूर्ति रखी है और शालग्रामशिला से बनी हुई है. मान्यता है कि ये मूर्ति देवताओं ने नारद कुण्ड से निकालकर स्थापित की थी. सिद्ध, ऋषि, मुनि इसकी पूजा करते थे।

भविष्य बद्री: भविष्य के बद्रीनाथ, भविष्य बद्री का मंदिर उपन में है. जो जोशीमठ से करीब 17 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में लता के पास है. जानकारी के अनुसार कलयुग की शुरूआत होगी तब जोशीमठ में मौजूद भगवान नरसिंह की मूर्ति का कभी न नष्ट होने वाला हाथ गिर जाएगा और विष्णु प्रयाग के पास पतमिला में जय और विजय नाम के पहाड़ भी टूट कर बिखर जाएंगे. और ऐसे में बद्रीनाथ धाम पहुंचना और भी कठिन हो जाएगा. और तब केवल भगवान बद्रीनाथ की पूजा होगी.

वृद्ध बद्री: बद्रीनाथ से आठ कि.मी. दूर पूर्व दिशा में करीब 1380 मीटर की ऊंचाई पर अलकनंदा नदी की धाराओं में वृद्ध बद्री धाम है. इस मंदिर की खास बात यह है कि ये पूरे साल खुला रहता है. खबरें हैं कि इस जगह पर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी. इससे भगवान विष्णु जी उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और फिर बूढे इंसान के रूप में दर्शन दिए.

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आदि बद्री: इस में सोलह मंदिरों के अवशेष हैं. यहां एक मंदिर बद्रीनारायण है जहां उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. जानकारी के अनुसार यह मंदिर शंकराचार्य जी ने बनवाया था. यहां रहने वाले निवासियों का मानना है कि कुछ सालों बाद जोशीमठ से बद्रीनाथ का रास्ता बंद हो जाएगा. तब यह स्थान सिर्फ तीर्थ यात्रा के रूप में जाना जाएगा. आपको बता दें कि यहां भगवान विष्णु की एक मूर्ति है जिसे काले पत्थर पर उकेरा गया है.