अर्जुन के पेड़ को भारत में पाए जाने वाले पौराणिक पौधों में से एक माना जाता है। आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ को कई औषधीय गुणों से भरा हुआ बताया गया है। इसकी मदद से हमें कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है। यही कारण है कि अर्जुन के पेड़ को औषधीय वृक्ष भी कहा जाता है। अर्जुन का पेड़ आमतौर पर घने जंगलों में पाया जाता है। इसकी छाल हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। इसकी छाल से स्ट्रोक, हार्ट अटैक और हार्ट फेल जैसे हार्ट संबंधी रोगों का इलाज किया जा सकता है।
अर्जुन के पेड़ की छाल में कैल्शियम कार्बोनेट, सोडियम व मैग्नीशियम सहित अन्य रासायनिक तत्व पाए जाते हैं। इसकी छाल का चूर्ण बनाकर दिन में तीन बार गुड़, शहद या दूध के साथ लेने से दिल के मरीजों को फायदा होता है। साथ ही चूर्ण को चाय में उबालकर पीने से रक्तचाप सामान्य रहता है। एक चम्मच चूर्ण को दो ग्लास पानी में तब तक उबाले जब तक वह आधा ना रह जाए। अब इस मिश्रण को सुबह-शाम खाली पेट पीने से उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है। अर्जुन के पेड़ की छाल से बना चूर्ण का सेवन करने से खांसी से भी राहत मिलती है। साथ ही इसका काढ़ा पीने से बुखार से भी राहत मिलती है।
एक रिसर्च में खुलासा किया गया था कि इसकी छाल का चूर्ण बनाकर रोज सेवन करने से स्तन कैंसर से बचा जा सकता है। इसके सेवन से शरीर में कैंसर की कोशिकाएं फैल नहीं पाती है। इसकी छाल का काढ़ा पीने से पाचन तंत्र ठीक रहता है और मोटापा नहीं बढ़ता। त्वचा से जुड़े रोगों के इलाज के लिए भी अर्जुन की छाल प्रभावशाली है। इसकी छाल से चेहरे के सारे रिंकल्स चले जाते हैं और चेहरे में निखार आता है। कई सौंदर्य प्रधान क्रीम में अर्जुन की छाल का उपयोग किया जाता है। महिलाओं से जुड़े रोगों में भी यह बहुत काम की औषधि है।
सनातन धर्म में अर्जुन के पेड़ को बहुत पवित्र माना गया है। ग्रंथों में इसे भगवान कुबेर का पुत्र माना गया है। इसकी पत्तियां और फूल भगवान विष्णु व भगवान गणेश के चरणों में चढ़ाई जाती है।