आइए सत्कर्मों के संकल्प के साथ नववर्ष का शुभारंभ करते हैं..

  1. जीवन चक्र कभी नहीं रुकता, साल बदलते रहते हैं. और हर समय हम सबके साथ प्रभु श्रीराम सदैव ही रहते हैं. ये संसार का नियम है, समय जी गति कभी नहीं रुकती, इंसान अपनी छोटी सी जीवन यात्रा में धरती पर रहता है, और ऐसे में जो अच्छे कर्म करते हैं, वो अपनी इस यात्रा से भी आगे अनंत यात्रा पर चले जाते हैं. ईश्वर उन्हें अपनी शरण में ले लेते हैं.

मनुष्य की परीक्षा का समय जीवन भर चलता है, लेकिन ऐसी स्थिति में धैर्य बनाये रखने से मनुष्य समस्त विपदाओं से पार पा लेता है. भगवान श्रीराम यानि मर्यादा, अनुशासन, कर्तव्य, सहनशीलता, धैर्य सब कुछ समाहित है प्रभु के नाम में. यही वो नाम है जो हमें सफलता के पथ पर सदैव अग्रसर रखता है. हमारी कामयाबी में, हमारे सुकून में, हमारी इच्छाओं में हर जगह हैं भगवान राम. जीवन का भरोसा, हमारे आभास में और हमारे विश्वास में प्रभु का वास हमेशा रहता है.

अच्छा शुभारम्भ ही सुखद अंत की अनुभूति है. अच्छा उद्देश्य हमें जीवन में प्रेरणा और ऊर्जा देता है. किसी भी कार्य की सम्पन्नता का सबसे पहला प्रतीक यही है. जब हम कुछ करना चाहते हैं, तो पहले केवल उसका आभास होता है, कि आगे कुछ इस तरह का करना है. उसकी धुंधली सी आकृति मन में बनती है, उसके बाद उस कार्य के लिए हमारी रूपरेखा तैयार होती है. और तब हमें ये विश्वास होता है कि, इस काम को करना चाहिए, और वहीँ से सफलता के सभी मार्ग खुल जाते हैं. तो आभास से लेकर विश्वास तक के इस सम्पूर्ण क्रम में हर क्षण हमारे साथ प्रभु का आशीर्वाद होता है. जिसके कारण कार्य संपन्न होते हैं.

सर्वप्रथम मनुष्य के मन में विचार की उत्पत्ति होती है. उस समय भी प्रभु हमारे साथ होते हैं. यदि विचार अच्छा है, तो वो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं. और यदि विचार बुरा है तो हमें रोकने और समझाने का प्रयास करते हैं. क्योंकि कर्म का दायित्व मनुष्य का अपना होता है. हमारे साथ केवल हमारे कर्म ही नहीं बल्कि हमसे जुड़े लोगों के कर्म भी होते हैं. पिछले जन्म के कर्मों से लेकर पूर्वजों के दिए गए संस्कार तक बहुत कुछ साथ लेकर मनुष्य का जन्म होता है. अगर पिछले जन्मों का लेखा जोखा सही नहीं है, तो हम उसे इस जन्म में सुधार सकते हैं. और इस जन्म में कुछ बुरा करते हैं, तो अगले जन्म के लिए अपने पथ को दुश्वार करते हैं. इसलिए अच्छे कर्मों के साथ जीवन को जीकर हम प्रभु का साथ हमेशा के लिए पा सकते हैं. तो सत्कर्मों के इसी संकल्प के साथ हम सब भी मिलकर नववर्ष का शुभारंभ और स्वागत करते हैं.