इतनी सजावट, इतना उत्साह, इतना काम, अयोध्या में शायद तब हुआ होगा, जब श्रीराम वनवास से लौटकर आये होंगे, और उनका राज्यभिषेक हुआ होगा. रामजी की नगरी को अब वैसा ही बनाया जा रहा है, जैसी श्रीराम की अयोध्या थी. अब समय बहुत आगे निकल चुका है, युग भी बदल चुके हैं, पर रामजी तो वही हैं, जैसे हमारे लिए सदैव से थे. अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन संपन्न करने की तैयारियों पर काम चल रहा है, और उसके साथ ही अयोध्या शहर को ऐसा बनाया जा रहा है जैसा त्रेतायुग में था.
हर तरफ सतरंगी छटा, और राम जन्मभूमि से लेकर हनुमानगढ़ी जाने वाले मार्ग तक दोनों तरफ सभी भवनों की दीवारों पर त्रेतायुग की झलकियाँ बनाई गई हैं. रामायण के समय के प्रसंगों को आकृतियों के रूप में बनाया गया है, तो भगवान राम, सीताजी, लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्न और हनुमानजी की तस्वीरों को दीवारों पर इस तरह बनाया गया है, कि सम्पूर्ण रामायण के दृश्य आँखों के सामने सजीव हो रहे हैं.
सड़कों के मध्य डिवाइडर को भी रंगों से सराबोर किया जा रहा है. अयोध्या में प्रवेश के साथ ही ऐसा लगता है, जैसे वाकई त्रेतायुग में आ गए हैं, और उस समय का ऐसा ही दृश्य रहा होगा.
श्रीराम आज तक इस धरती के सबसे बड़े अवतारी पुरुष हुए हैं, और स्वयं नारायण का स्वरूप थे. समय बीता, राम राज्य के बाद और कई राज्य आये और गए, लेकिन तबसे लेकर आज तक मानव ह्रदय केवल राम राज्य की ही कल्पना करता है. वैसा ही जीवन, वैसी ही न्यायप्रियता, और मर्यादा जो वो संसार को सिखाकर गए. युग बदल गए, लेकिन युगों युगांतर तक धरती पर श्रीराम ही रहेंगे, लोग आयेंगे, जायेंगे, सभ्यताएं आएँगी, जायेंगी, पर संस्कार श्रीराम के ही रहेंगे.