इस आधुनिक जमाने में लोग सेहत को चुस्त रखने के लिए न जाने क्या क्या करते हैं. कुछ लोग योगा करते हैं तो कुछ जिम में जाकर पसीना बहाते हैं. कुछ लोग सिर्फ अपने घर के भोजन पर निर्भर रहते हैं. ये तो अच्छी बात है. पर अगर आप चांदी के बर्तन में भोजन करते हैं तो आपको किसी भी प्रकार की कोई शारीरिक दिक्कत नहीं होगी. चांदी सेहत के मामले काफी फायदेमंद है. धर्म ग्रंथों में इसे पवित्र धातु का दर्जा दिया गया है. कहावत है, कि सदियों पहले जब अन्य धातुएं नहीं हुआ करती थीं तब केवल चांदी के बर्तन का इस्तेमाल किया जाता था. चांदी से बने बर्तनों में खाना खाने से शरीर चुस्त, स्वस्थ और दुरुस्त रहता है.
आपने शायद गौर किया होगा कि छोटे बच्चे को पहली बार चांदी के बर्तन में ही खाना खिलाया जाता है, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार का संक्रमण न हो. चांदी के बर्तनों में पानी, दूध या कोई और तरल पदार्थ रखने से उसकी शुद्धता और बढ़ जाती है. ये एक तरह की परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है. माना जाता है कि इससे बच्चा स्वस्थ रहता है. इसके साथ ही चांदी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है.
ग्रंथों में पवित्र धातु है चांदी
देवी पुराण के मुताबिक नवरात्र में चांदी के बर्तनों में देवी जी को खीर का भोग लगाया जाता है. हाल ही में नवरात्र खत्म हुए हैं, शायद आपने इस बात पर गौर किया होगा. धर्म शास्त्रों की अच्छी समझ रखने वाले विद्वानों ने बताया कि चांदी की उत्पत्ति शिवजी की तीसरी आंख से हुई है, ये बात मत्स्य पुराण में भी बताई गई है. चांदी पितरों की भी प्रिय धातु है. इसलिए आपने देखा होगा कि श्राद्ध और पितरों की पूजा में कई लोग अपनी क्षमता के अनुसार चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं.
आयुर्वेद के अनुसार चांदी कई बीमारियों को दूर करने में मददगार साबित होती है.
बनारस के चिकित्सा अधिकारी व आर्युवेदिक स्पेशलिस्ट का कहना है कि यदि चांदी के बर्तनों में खाना खाते हैं तो कई प्रकार के रोगों से छुटकारा मिल सकता है जैसे वात, आंखों के रोग, एसिडिटी, शरीर की जलन, नींद ना आना, आदि. और चांदी शुगर लेवल को भी सामान्य रखता है.
इसके अलावा चांदी से याददाश्त भी तेज होती है.
चांदी के बर्तन में खाना खाने से ये आपके शरीर के पित्त को कंट्रोल करती है. इस धातु का स्वभाव ठंडा रहता है. इसलिए, इस धातु के बर्तनों में खाना खाने से तन और मन स्थिर रहता है. और वैसे भी किसी कार्य को उसके अंजाम तक तभी पहुंचाया जा सकता है जब आपका तन स्वस्थ और मन शांत है.