हॉकी के इस धुरंधर खिलाड़ी का रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ सका, मौत पर मीडिया ने कवरेज तक नहीं किया

भारत देश की धरती पर एक से बढ़कर एक योद्धा, विद्वान, शांति दूत और महान खिलाड़ियों ने जन्म लिया है. लोग इस सर जमीन पर जन्म लेकर यहाँ की मिट्टी का नाम रोशन कर जाते हैं. रहने के लिए इस जहाँ में कोई नहीं आता, सबको एक दिन जाना होता है, लेकिन वो अपने पीछे ऐसे निशां छोड़ जाते हैं, जो उन्हें दुनिया के इतिहास में अमर बना देते हैं. हॉकी के ऐसे ही एक महान और धुरंधर खिलाड़ी थे बलबीर सिंह सीनियर. जिनका रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ सका. तीन बार के ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर देश के महानतम एथलीटों में से एक थे. बलबीर सिंह सीनियर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा चुने गए आधुनिक ओलिंपिक इतिहास के 16 महानतम ओलंपियनों में शामिल थे. हेलसिंकी ओलंपिक (1952) फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ पांच गोल का उनका रिकॉर्ड आज भी कायम है. भारत ने वह मुकाबला 6-1 से जीता था. भारत ने पूरे हेलसिंकी ओलंपिक में कुल 13 गोल किए, जिसमें से 9 अकेले बलबीर सिंह सीनियर ने किये थे. उन्हें 1957 में पद्मश्री से नवाजा गया था. बलबीर सिंह सीनियर ने लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न (1956) ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते थे. वह 1975 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के मैनेजर भी थे.

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कोरोना काल के दौरान ही इसी वर्ष मई के महीने में इस महान खिलाड़ी का निधन हो गया. 95 वर्ष के बलबीर सिंह सीनियर स्वास्थ्य कारणों के चलते इसी साल 8 मई 2020 से लेकर 2 हफ़्तों से भी ज्यादा समय तक मोहाली, पंजाब के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती रहे. 18 मई को उनकी हालत बहुत खराब हो गई, और वो लगभग अचेत हो गए. और उसके बाद 25 मई 2020 को उन्होंने अंतिम सांस ली. लेकिन इतने दिन तक अस्पताल में रहने के बाद भी मीडिया की तरफ से किसी ने उनकी सुध नहीं ली. यहाँ तक कि, उनकी मौत के पश्चात् भी मीडिया की तरफ से उदासीनता दिखाई गई.

देश के महान खिलाडी की मौत पर मीडिया की इस तरह की बेरुखी से यही साबित होता है कि, मीडिया को केवल चकाचौंध वाली जिंदगी के इर्द गिर्द की ख़बरों तक ही सीमित रहना है.

पर बलबीर सिंह सीनियर के निधन पर हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने दुख व्यक्त किया था. पीएम मोदी ने ट्वीट करके कहा था कि, पद्मश्री बलबीर सिंह सीनियर को उनकी यादगार स्पोर्टिंग परफॉरमेंस के लिए याद रखा जाएगा. वह न केवल अच्छे हॉकी खिलाड़ी थे बल्कि महान मेंटोर भी थे.