सेहत का खजाना है कचनार का पौधा – जिससे गल जाती है गांठ

प्रकृति ने हमें ऐसे बहुत सारे पेड़-पौधे दिए हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर है। हालांकि हमें इनके औषधीय गुणों के बारे में सही से जानकारी नहीं है, वरना इन औषधीय गुणों के जरिए हम हर तरह की बीमारियों से निजात पा सकते हैं। कुछ ऐसे ही औषधीय गुण पाए जाते हैं कचनार के पौधे में, जो हमें स्वस्थ और तंदुरुस्त रखते हैं। कचनार का पौधा भारत के सभी हिस्सों में पाया जाता है। इसकी छाल के रेशो से रस्सी बनाई जाती है। साथ ही देश के कई हिस्सों में कचनार की पत्तियों की सब्जी भी बनाई जाती है। कचनार का उपयोग कई तरह के रोगों को दूर करने में किया जाता है।

आयुर्वेद में गांठ या लसिका ग्रंथि में विकृति की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के लिए कचनार के पौधे को सर्वोत्तम बताया गया है। गांठ को गलाने के लिए कचनार का उपयोग किया जाता है। लाल कचनार की छाल को पीसकर सर पर लगाने से सरदर्द से राहत मिलती है। इसके छाल की राख से दांत साफ़ करने से दातों के दर्द से राहत मिलती है। इसकी छाल के चूर्ण में कत्था मिलाकर लगाने से मुंह के छाले जल्दी ठीक हो जाते हैं। कचनार के फूलों से बना काढ़ा पीने से खांसी से राहत मिलती है।

अगर आप भूख ना लगने की परेशानी से जूझ रहे हैं तो कचनार के फूलों की पत्तियां घी में भूनकर सुबह-शाम खाने से भूख बढ़ती है। इसकी छाल से बना काढ़ा गैस की समस्या दूर करता है। इस काढ़े को घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है। वहीं इसके फूलों के रस में चीनी मिलाकर सुबह-शाम पीने से कब्ज की शिकायत नहीं होती है।

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कचनार देर से हजम होती है, इसलिए इसका सही लाभ प्राप्त करने के लिए इसका उचित मात्रा में उपयोग जरुरी है। आयुर्वेद के अनुसार कचनार के फूलों का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। कचनार की छाल से बने चूर्ण को 3-6 ग्राम मात्रा में उपयोग करना चाहिए। साथ ही इसकी छाल से बने काढ़े की 50-100 मिली सेवन करना चाहिए। अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर ले।