ये आपको तय करना है, आपको बच्चों का दोस्त बनना है या….

अगर आप एक पेरेंट्स है और बच्चे भी हैं तो आपने कई बार अपने बच्चों को किसी न किसी गलती पर डांटा या पीटा होगा. पर क्या आप जानते हैं आपकी इस हरकत से उनके दिमाग पर कितना बुरा असर पड़ रहा है!

ImageSource

कई बार तो बच्चों को अनुशासित करने के लिए उन्हें बाथरूम या एक अंधेरे कमरे में बंद कर देते हैं. इससे आपके बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं. इस तरह की हरकतों से बच्चों के मन में जीवन भर के लिए डर बैठ सकता है. जब आप अपने बच्चे पर चिल्ला रहे होते हैं, तो कोई शारीरिक नुकसान नहीं होता है, लेकिन यह उनके मानसिक कल्याण, आत्म-सम्मान को काफी हद तक मिटा देता है. और फिर बच्चे आप से कटने लगते हैं आपसे बातें छिपाने लगते हैं.

इस विषय को समझने के लिए मॉन्टेरियल और स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने आपस में मिलकर शोध करने की कोशिश की है. वैज्ञानिक कहते हैं कि बच्चों को डांट फटकारने से बच्चों में डिप्रेशन और बेचैनी बढ़ती है, क्योंकि इसका सीधा असर उनके दिमाग पर होता है.

रिसर्च इस तरह से हुई

जानकारी के अनुसार, 2 से 9 साल के बच्चों के द्वारा शोध किया गया. पेरेंट्स के डांटने और पीटने के बाद इनके दिमाग की स्कैनिंग की गई। वैज्ञानिकों ने पाया कि बच्चों पर अधिक सख्ती बरतने से इनके दिमाग के उस हिस्से पर असर पड़ा जो इमोशंस को कंट्रोल करते हैं. नतीजा, इससे बेचैनी और डिप्रेशन बढ़ता है.
सख्ती का असर उल्टा पड़ता है

रिसर्च के बाद वैज्ञानिक कहते हैं कि बच्चों ने अगर कुछ गलती भी कर दी है तो पेरेंट्स को उनके साथ बैठकर उन्हें डांटने के बजाय समझाना चाहिए.

बच्चे को जिस तरह की बातें सुनने को मिलेंगी उसी प्रकार उनका विकास होगा. और अगर उनका विकास अच्छे विचारों के साथ होगा तो वह आपके परिवार के साथ-साथ देश की प्रगति करने में सहायक होगा. अर्थात बच्चों के दोस्त बनें दुश्मन नहीं.