भारत के गौरवशाली किले: बेकल किला है केरल का सबसे बड़ा दुर्ग

भारतीय इतिहास और राजसी संस्कृति का बहुत अहम हिस्सा हैं पुराने किले, क्योंकि हमारे देश में लगभग हर इलाके में कई छोटे-बड़े किले मिल जाते हैं। इनमें से कई तो खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, लेकन कुछ अभी भी अपने पुराने वैभव के साथ बुलंदी से खड़े हुए हैं। केरल के कासरकोड जिले की होसदुर्ग तहसील के गांव पल्लीकेरा में एक ऐसा ही किला है, जिसका नाम है बेकल दुर्ग, जो कि राज्य का सबसे बड़ा किला है। करीब 40 एकड़ के इलाके में फैला यह दुर्ग मंगलौर से लगभग 65 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। इस किले का निर्माण केलादि के शिवप्पा नायक ने सन 1650 में करवाया था। भारत सरकार ने सन 1992 में इस किले को विशेष पर्यटन क्षेत्र घोषित किया है।

ImageSource

एक चाबी की घुंडी जैसी आकृति के लिए दूर-दूर तक मशहूर इस बेकल किले में कोई महल या हवेली नहीं है, क्योंकि यह कभी भी कोई प्रशासनिक केंद्र नहीं रहा, लेकिन यह आज भी केरल के सबसे बड़े और सबसे अच्छी हालत में मौजूद किलों में से एक है। समुद्र तल से 130 फीट की ऊंचाई पर मौजूद यह किला अपनी वास्तुकला और अपने आसपास की बेहतरीन प्राकृतिक सुंदरता के लिए सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खींचता है। पर्यटक विशेष रूप से इस किले के पास बने वॉच टॉवर (अवलोकन टॉवर) पर भी जाते हैं, जहां के झरोखों से आसपास के बहुत सुंदर नजारे दिखाई देते हैं। किले के पास मौजूद अन्य देखने योग्य स्थानों में अंजनेय मंदिर भी शामिल है, जो अपनी निर्माण कला और मखराले से बनी थैय्यम देवी की दो मूर्तियों के लिए मशहूर है। पर्यटक पास ही बेकल समुद्र तट का भी आनंद उठाते हैं। शांत वातावरण के बीच आराम करने और तरोताजा होने के लिए यह बहुत अच्छी जगह है।

ImageSource

माना जाता है कि बेकल किला, चिरक्कल राजाओं के शासन की शुरुआत से ही अस्तित्व में रहा है। कुछ लोग मानते हैं कि बेकल का किला कर्नाटक राज्य के शासक बेदनूर के शिवप्पा नायक द्वारा बनाया गया था, लेकिन ऐसे लोग भी हैं जो यह मानते हैं कि बेकल किला और कासारगोड के निकट एक और किला चंद्रगिरि चिराक्कल राजाओं के थे और शिवप्पा नायक ने 1650 के या 1660 के दशक में क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद उनका फिर से निर्माण कराया था।

कोलाथीरी राजा और नायक, बेकल किले के कब्जे के लिए संघर्ष करते रहे, लेकिन बाद के सालों में यह कुछ हमलावरों के कब्जे में भी रहा। सन् 1799 में चौथे आंग्ल-मैसूर युद्ध के बाद यह किला ईस्ट इंडिया कंपनी के कब्जे में आ गया था। बाद में ब्रिटिश राज के दौरान सैन्य गतिविधियों और प्रशासनिक कार्यों में बेकल किले ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब जिले की सीमाएं बनाई गई, तो बेकल का शहर बंकल तहसील का मुख्यालय बन गया। बाद में कासरगोड को तहसील बना दिया गया।

आजादी के बाद जब भारत सरकार ने सन 1956 में राज्यों को नए सिरे से बनाया तो कासारगोड जिला केरल के नए राज्य का एक हिस्सा बन गया। मौजूदा स्थिति में बेकल किला एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। पर्यटन विकास निगम अब बेकल किले को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र बनाने की कोशिश कर रहा है। वैसे बेकल की स्वर्ण जैसी चमकीली रेत और खूबसूरत पहाड़ियां फिल्म निर्माताओं की भी पसंदीदा जगह है। यहां सैलानी भी हर मौसम में आते हैं।