भगवान शिव का प्रिय है बेल, होता है विटामिन सी से भरपूर

बेल एक ऐसा पेड़ है जिसका हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। मान्यता है कि बेल का फल भगवान शिव शंकर को बहुत अधिक प्रिय है। यही नहीं हिंदू धर्म में भगवान शिव-माता पार्वती की पूजा के लिए भी बेल का उपयोग किया जाता है। कई लोग गर्मियों के मौसम में बेल के फल का शर्बत बनाकर पीते हैं। इससे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। बेल का वानस्पतिक नाम एजिल मारमेलस है। इसमें मौजूद औषधीय गुण हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसकी पत्तियों में टैनिन, लोह, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं। जिससे हमें लाभ मिलता है।

ImageSource

कब्ज, बवासीर, डायरिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति को बेल के फल का सेवन करना चाहिए। इससे उन्हें राहत मिलेगी। बेल के पत्तों से बने रस और घी के मिश्रण का कम मात्रा में सेवन करने से ह्रदय रोग से राहत मिलती है। कान के दर्द से परेशान व्यक्ति अगर बेल के पत्तों को उबालकर, उसका रस निचोड़कर और उसमें तिल का तेल मिलाकर कुछ बूंद कानों में डाले तो उसे इस परेशानी से निजात मिलेगी। बेल के रस का गर्म पानी और शक्कर के साथ सेवन करने से हमारा रक्त साफ़ होता है। बेल में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है, इसलिए यह स्कर्वी के उपचार के लिए भी लाभदायक है।

बेल में बीटा-कैरोटीन की मात्रा पाई जाती है, जो हमारे लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। एक कपड़े को बेल के रस में डुबोकर सिर पर पट्टी के रूप में रखने से सिरदर्द से आराम मिलता है। सर्दी होने पर भी बेल के पत्ते काफी उपयोगी है। इसमें मौजूद तत्व श्वसन प्रणाली से बलगम को बाहर निकाल देते हैं, जिससे सांस अच्छे से आती है। इसके अलावा नहाने के बाद बेल की पत्तियों से बना रस शरीर पर लगाने से पसीने और तन की दुर्गंध निजात मिलती है। इस रस को आंखों पर लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं।

ImageSource

बेल के इन सभी फायदों के बीच इसके कुछ नुकसान भी है। जैसे इसका ज्यादा सेवन करने से पेट से जुड़े रोग हो सकते हैं। साथ ही यह ब्लड शुगर के स्तर को कम सकता है। इसलिए किसी भी बीमारी के लिए बेल का उपयोग करने से पहले एक बार चिकित्सक की सलाह जरूर लेना चाहिए।