भारत देश की धरती मंदिरों की पावन भूमि है, यहाँ के हर शहर और गाँव में देवी देवताओं के कई मंदिर होते हैं| लेकिन विश्वनाथ की नगरी के नाम से मशहूर काशी में एक ऐसा मंदिर हैं, जो सिर्फ भारत माता के मंदिर के नाम से जाना जाता है| जानकारी के अनुसार इस मंदिर की स्थापना 1936 में की गई थी, काशी के एक संपन्न व्यक्ति शिवप्रसाद गुप्त ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था| उस समय के हिसाब से इस मंदिर की लागत 10 लाख रुपये के आसपास थी, जो आज करोड़ों में होगी|
बेहद भव्य और आलीशान इस मंदिर का निर्माण करवाने वाले शिवप्रसाद गुप्त जी ‘रणभेरी’ प्रकाशन के नाम से एक संस्थान चलाते थे, और भारत माता की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ रहे क्रांतिकारियों की सहायता भी करते थे|
एक बार जब उन्होंने पुणे का भ्रमण किया, तो वहां कर्वे आश्रम में उन्होंने मिट्टी से बने भारत माता के भूचित्र को देखा, जो ज़मीन पर बना हुआ था, जिसमें पहाड़ से लेकर ऊँची नीची नदियों तक को रेखांकित किया गया था, बस उसी को देखकर इस अद्भुत मंदिर की परिकल्पना उनके मन में आई, और उन्होंने काशी आकर भारत माता मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ करवा दिया|
1936 में जब यह मंदिर बनकर तैयार हुआ तो महात्मा गाँधी ने आकर इस मंदिर का उदघाटन किया| इस मंदिर में भारत माता का भूचित्र बना हुआ है, जो संगमरमर के ऊपर बनाया गया है, भारत माता के इस मानचित्र की लम्बाई 31 फुट 2 इंच और चौड़ाई 30 फुट 2 इंच है|
इस अद्भुत मंदिर में जब भी देश के अलग अलग हिस्सों से लोग जाते हैं, तो भावनावश भारत माता की जय ज़रूर बोलते हैं| भारत माता का यह मंदिर राष्ट्रीयता की प्रेरणा और देशी विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का बड़ा केंद्र है|