भारत रत्न लता मंगेशकर जी का जन्मदिवस है आज, जानिये उनके जीवन से जुड़ीं ख़ास बातें

आज भारत की स्वर सम्राज्ञी ‘लता मंगेशकर’ का जन्मदिन है, अपनी जिंदगी में उन्होंने जो ऊंचाइयां तय की हैं, आज तक कोई ऐसा मक़ाम नहीं छू पाया. आइये जन्म दिवस के अवसर पर उनके जीवन की कुछ ख़ास बातों पर नज़र डालते हैं.

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1. लता मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर 1929 को इंदौर में हुआ था.

2. लता मंगेशकर के घर में धुरु से ही संगीत का माहौल था और उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल सिंगर और थिएटर आर्टिस्ट थे.

3. लता मंगेशकर की उनके अलावा 3 और बहनें हैं, जिनका नाम है आशा भोंसले, उषा और मीना, उनका एक भाई भी है जिनका नाम है हृदयनाथ मंगेशकर.

4. लता मंगेशकर का जन्म के वक्त नाम ‘हेमा’ रखा गया था, लेकिन कुछ साल बाद अपने थिएटर के एक पात्र ‘लतिका’ के नाम पर, दीनानाथ जी ने उनका नाम ‘लता’ रखा.

5. पांच साल की उम्र में ही लता जी ने अपने पिता से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी और थिएटर में एक्टिंग किया करती थी. जब वो स्कूल गयी तो वहां के बच्चों को संगीत सिखाने लगी लेकिन जब लता जी को अपनी बहन ‘आशा’ को स्कूल लाने से मना किया गया तो उन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया.

6. साल 1942 में जब लता जी मात्र 13 साल की थी तो उनके पिता का निधन हो गया फिर पूरे परिवार की देखभाल करने के लिए लता जी ने बखूबी ये ज़िम्मेदारी निभाई. उन्होंने मराठी फिल्म ‘पहली मंगला गौर’ में एक्टिंग भी की है.

7. साल 1945 में लता जी अपने भाई बहनो के साथ मुंबई आ गयी और उन्होंने उस्ताद अमानत अली खान से क्लासिकल गायन की शिक्षा ली. फिर साल 1946 में उन्होंने हिंदी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ में ‘पा लागूं कर जोरी’ गीत गाया.

8. प्रोड्यूसर सशधर मुखर्जी ने लता मंगेशकर की आवाज को ‘पतली आवाज’ कहकर अपनी फिल्म ‘शहीद’ में गाने से मना कर दिया था. फिर म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर ने लता मंगेशकर को फिल्म ‘मजबूर’ में ‘दिल मेरा तोडा, कहीं का ना छोड़ा’ गीत गाने को कहा जो काफी सराहा गया . लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में गुलाम हैदर को अपना ‘गॉडफादर’ कहा था.

9. लता मंगेशकर ने 1942 से अब तक, लगभग 7 दशकों में , 1000 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों और 36 से भी ज्यादा भाषाओं में गीत गाये हैं.

10. लता मंगेशकर को साल 2001 में ‘भारत रत्न’ से भी नवाजा जा चुका है. लता जी को पद्म भूषण (1969) ,पद्म दादा साहब फाल्के अवार्ड (1989) , और पद्म विभूषण(1999) से भी नवाजा जा चुका है.