भीम को अपनी ताक़त पर था बहुत घमंड, पर हनुमानजी ने सिखा दिया सबक

भारतवर्ष के इतिहास में महाभारत का संग्राम एक ऐसा अध्याय था, जिसकी हर घटना कुछ न सबक ज़रूर देती हैं. हालांकि पांडवों में पाँचों भाई एक से बढ़कर एक शक्तिशाली थे. लेकिन फिर भी एक ऐसी घटना है, जो जीवन का बड़ा सबक देती है. महाभारत काल में जब पांडव अपनी पत्नी द्रोपदी के साथ वनवास का समय व्यतीत कर रहे थे, तो उस समय वो बद्रीनाथ के पास एक क्षेत्र में रह रहे थे. एक दिन द्रोपदी ने देखा कि, गंगा नदी में एक ब्रह्मकमल बहता हुआ जा रहा है, और उन्होंने उस फूल को लाने के लिए भीम से कहा. उस पुष्प को लेने के लिये भीम ने बद्रीवन नाम के उस वन में प्रवेश किया जो आज बद्रीनाथ धाम के पास स्थित है. और उन दिनों भीम को अपनी ताक़त पर बहुत घमंड हो गया था. भीम ने जैसे ही वन में प्रवेश किया तो रास्ते में उन्हें एक वृद्ध वानर लेटा हुआ मिला.

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वानर की पूँछ से रास्ता रुका हुआ था. तो भीम ने उस वानर को रास्ते से हटने के लिए कहा. वानर ने कहा, मैं वृद्ध हूँ, और मुझमे इतनी शक्ति नहीं है कि, मैं खड़ा हो सकूँ, इसलिए तुम स्वयं ही मेरी पूँछ हटा दो और आगे बढ़ जाना. इसके बाद भीम ने उस वानर की पूँछ को हटाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो उसे हिला भी नहीं सके. उसके बाद भीम को भी ये समझ में आ गया कि, ये कोई सामान्य वानर नहीं है, और भीम ने हाथ जोड़कर उस वानर से अपने असली रूप में आने की प्रार्थना की. और हनुमानजी अपने असली स्वरुप में प्रकट हो गए, और उन्होंने भीम को सबक दिया कि, जीवन में इंसान को सदैव घमंड से बचना चाहिए.

वही स्थान आज बद्रीनाथ धाम के पास हनुमान चट्टी मंदिर के रूप में स्थित है. और बद्रीनाथ आने वाले सभी श्रद्धालु, बद्रीनाथ जाने से पहले हनुमान चट्टी के दर्शन जरूर करते हैं. इन दिनों बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले हुए हैं. और भक्त दर्शन के लिए भी जा रहे हैं.