अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन संपन्न हो चुका है. जिस मुहूर्त में ये भूमिपूजन हुआ उसकी एक ख़ास बात ये थी, कि उस दिन धनिष्ठा नक्षत्र था, जो ज्योतिष के हिसाब से वैसे ही बहुत शुभ माना जाता है, और अभिजीत मुहूर्त था, ज्योतिषीय गणना के हिसाब से आज तक अभिजीत मुहूर्त में जो भी कार्य हुए हैं, उनकी सफलता निश्चित हुई है, ये कार्य सिद्धि के लिए बहुत शुभ योग माना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार श्रीराम का जन्म भी इसी अभिजीत मुहूर्त में हुआ था.
लेकिन इस मुहूर्त पर भी बहुत सारे विद्वानों ने सवाल उठाये थे कि, 5 अगस्त का दिन शिलान्यास के लिए सही नहीं था, पर ज्योतिष में हर चीज़ का उपाय होता है. इसीलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अयोध्या पहुँचने से ठीक 2 दिन पहले ही, जिस गर्भगृह में भूमिपूजन हुआ, वहां 3 अगस्त की सुबह साढ़े नौ बजे फावड़ा चलाकर वास्तु की पूजा की गई थी. इस पूजा में शामिल हुए वैदिक आचार्य और ज्योतिषियों के अनुसार, इस पूजा के बाद 5 अगस्त के दिन पूजा के मुहूर्त का दोष समाप्त हो गया था. बुधवार के दिन हुए भूमिपूजन से पहले ही गर्भगृह में नींव खोदी जा चुकी थी. और भूमिपूजन के उपयोग में लायीं गई 9 शिलाएं भी उस वास्तु पूजा में रखी गईं थीं. शिलान्यास के अगले दिन यानी 6 अगस्त को इस बात की जानकारी भूमि पूजन अनुष्ठान के संयोजक इन्द्रदेव मिश्र ने दी है.
उन्होंने बताया कि, 3 अगस्त के दिन भद्रा समाप्त होने के बाद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा और कन्या लग्न के शुभ मुहूर्त में वास्तु की ये पूजा संपन्न कराई गई. और मंदिर निर्माण के लिए पहला फावड़ा श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय द्वारा चलाया गया, और कोलकाता के रहने वाले उधोगपति महेश भागचंदका और उनकी पत्नी इस पूजा में यजमान बने थे.