ये दास्ताँ है एक ऐसे गाँव की जिसकी वजह से भारत की अग्रणी सीमा सुरक्षा बल BSF भी काफी परेशान रहती है. कहने को तो ये एक सामान्य गाँव है, लेकिन जिस जगह पर ये है उसकी वजह से हालात काफी मुश्किल हैं. भारत और बांग्लादेश की सीमा पर स्थित इस गाँव का आलम ये है कि, इसका आधा हिस्सा भारत में है तो आधा बांग्लादेश में. ‘चकपानीथार’ नाम के इस गाँव की जो सबसे बड़ी परेशानी है वो ये कि, यहाँ कोई भी तार फेंसिंग नहीं है. और इसकी वजह भी गांववाले ही हैं, जो तार फेंसिंग लगाने ही नहीं देते, क्योंकि इसके लिए ज़मीन की ज़रूरत होगी, और गाँव के लोग ज़मीन देने के लिए तैयार नहीं है, जिसकी वजह से आये दिन घुसपैठ का डर बना रहता है, जो कभी भी हो सकती है. और इसे रोकने के लिए BSF के जवानों को रात दिन बिना थके, बिना रुके मुस्तैदी से गश्त करनी पड़ती है.
इस गाँव से सभी हिन्दू परिवार काफी पहले ही पलायन कर चुके हैं. अब सिर्फ यहाँ मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं, और यहाँ रहने वाले जिन लोगों की खेती बांग्लादेश के हिस्से में आती है, वो दिन में कभी भी जाकर खेती करते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कड़ी सुरक्षा के दायरे से गुजरना होता है, और जाने से पहले सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पहचान पत्र जमा करना होता है, आने के बाद उसकी और उसके साथ लाये सामान की पूरी तलाशी ली जाती है, उसके बाद ही BSF उनको गाँव में जाने देती है.
भारत के हिस्से में रहने वाले लोग बांग्लादेश के हिस्से में रहने वाले लोगों से काफी घुले मिले हुए हैं, और एक दूसरे के घर आते जाते हैं, ऐसे में उन पर और भी ज्यादा नज़र बनाकर रखनी होती है, क्योंकि घुसपैठियों के लिए ये एक बहुत आसान तरीका है. बड़ी बात ये है, कि गाँव के लोग बॉर्डर पर फेंसिंग नहीं करना देना चाहते, इसके लिए पश्चिम बंगाल सरकार का भी समर्थन गाँव वालों को मिला हुआ है. लेकिन केंद्र सरकार चाहती है, जल्द ही इसका कोई हल निकले, और पूरी तैयारी से लगी हुई है, जिसकी वजह से भविष्य में तार फेंसिंग होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.