कल मंगलवार, 2 नवम्बर को धनतेरस के पावन पर्व के साथ ही दीवाली का पांच दिनों का महापर्व शुरू हो चुका है. आज बुधवार, 3 नवम्बर को छोटी दीपावली मनाई जा रही है. धनतेरस के बाद और दीपावली पर्व के ठीक एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी को छोटी दीवाली, रूप चौदस और काली चतुर्दशी भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है.
नरक चतुर्दशी की तिथि आज सुबह सात बजकर 15 मिनट से कल यानि 4 नवम्बर सुबह पांच बजकर 31 मिनट तक है. आज विष्कुंभ एवं प्रीति योग और आनंद नामक महा औदायिक योग भी है. आज के दिन के सूर्योदय से पूर्व तेल और उबटन लगाकर स्नान करने का विधान है. इस दिन स्नान से जहां सौंदर्य की प्राप्ति होती है वहीं शरीर में दिव्य शक्ति का संचार होता है और कई प्रकार के रोगों से सदैव के लिए छुटकारा भी मिलता है.
नरक चतुर्दशी के दिन शाम को दीपदान किया जाता है. मान्यता है कि, यह दीपदान मृत्यु के देवता यमराज के लिए किया जाता है. श्रद्धालुओं के द्वारा कहीं पर सात तो कहीं पर चौदह दीपक जलाए जाते हैं. सम्पूर्ण विधि से नरक चतुर्दशी की पूजा करने से परिवार और जीवन में सुख-शांति का वातावरण रहता है.
सनातन धर्म में दीपावली को सबसे प्रमुख त्योहारों में एक माना जाता है. और पांच दिनों के इस पर्व की श्रंखला में हर दिन का एक विशेष धार्मिक महत्व होता है. नरक चतुर्दशी के दिन पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार हो जाता है. विपदाओं और परेशानियों का निवारण मिल जाता है. और आने वाला समय सुखमय हो जाता है.