आज भारतीय सेना का वो सितारा तारों से जाकर मिल गया जिसके हिम्मत भरे फ़ैसले देखकर दुश्मन देशों की सासें रुक जाती थीं. जिसने जमीं से लेकर आसमान तक की ऊँचाइयों को कब तय कर लिया पता ही नहीं चला. जिसने एक ऐसे पद की गरिमा को सुशोभित किया जो तीनों सेनाओं पर नियंत्रण रखता था. सीडीएस बिपिन रावत का शरीर आज पंचतत्व में विलीन हो गया. उनके साथ ही उनकीपत्नी मधुलिका रावत भी अंतिम यात्रा पर निकल गई. बिपिन रावत समेत तमिलनाडु हेलिकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले सभी 13 लोगों को आज अंतिम विदाई दे दो गई. जनरल बिपिन रावत का पार्थिव शरीर शुक्रवार को बेस हॉस्पिटल से उनके आवास लाया गया. जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
इससे पहले कल जनरल बिपिन रावत का पार्थिव शरीर शुक्रवार को बेस हॉस्पिटल से उनके आवास लाया गया. यहां केंद्रीय गृह मंत्रीअमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. सीडीएस बिपिन रावत और मधुलिका रावत की बेटियों कृतिका और तारिनी ने अपने माता–पिता को श्रद्धांजलि दी. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर का दिल्ली कैंट बराड़ चौक स्थित शमशानघाट में अंतिम संस्कार किया गया. माता पिता दोनों को उनकी दोनों बेटियों ने मुखाग्नि दी. और हमेशा के लिए उन्होंने भारतीय सेना के साथ पूरे देश से विदाई ले ली.
बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत, जिन्हें हम जनरल बिपिन रावत के नाम से जानते हैं, उनका जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में चौहान राजपूत परिवार में हुआ. जनरल रावत की माताजी परमार वंश से थीं. दिसंबर 2019 में सरकार ने पहली बार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद बनाने की घोषणा की थी और 30 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत इस पद पर नियुक्त किए गए. बिपिन रावत तीनों सेनाओं के प्रमुख के इस पद पर नियुक्ति पाने वाले पहले अधिकारी थे. नेशनल डिफेंस एकेडमी और इंडियन मिलिट्री एकेडमी के छात्र रहे रावत ने साल 2016 में 27वें सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला था. करीब 4 दशक लंबे करियर में रावत ने कई अहम पदों पर सेवाएं दीं.