स्कूल और कॉलेज के दौरान, बच्चे अपना अधिकांश समय पढ़ाई में लगाते हैं. इसलिए महत्वपूर्ण है कि उस समय को और रोचक बनाया जाए. क्योंकि इस उम्र में बच्चों की सीखने की क्षमता बड़ों से अधिक और तेज होती है. इसलिए, यह समय ऐसा है कि अगर बच्चों को सही समय पर सही दिशा मिल जाए तो बच्चों का भविष्य बेहतर हो सकता है. आखिरकार “पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया”. बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. जानकारी के अनुसार 20 जिलों के स्कूलों में र्स्माट क्लास बनाया जा रहा है. बच्चों की क्लास को पानी वाले जाहज का रूप या कहें आकार दिया जा रहा है. यही नहीं टॉयलेट व शौचालय को बस का आकार दिया जा रहा है.
एक उदाहरण के जरिए बात को समझाते हैं जब कोई बच्चा सब्ज़ी नहीं खाता या दूध नहीं पीता तब उनकी मम्मी उन्हें सब्ज़ी को रोटी में रोल बनाकर खिलाती हैं और दूध को मिल्क शेक बनाकर पिलाती हैं. इस तरह की चीज़ों से बच्चे खुश होते हैं और फिर वे उन चीज़ों को जिन्हें वे खाने से मना किया करते थे बड़े चाव से खाते हैं.
इस अधुनिक दुनिया में हमारे आने वाले भविष्य को सही शिक्षा प्रदान करने के लिए बाला गतिविधियों के तहत 10 ब्लॉक चुने गए हैं. हर ब्लॉक में से दो स्कूलों का चयन हुआ है. बाला कार्यक्रम के अनुसार, “एस लर्निंग एंड संस्था” द्वारा सभी विद्यालयों की दीवारों (अंदर और बाहर) पर आकर्षक व ज्ञानवर्धक पेंटिंग बनाई जाएंगी.
इसके अंतर्गत कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को सही दिशा में शिक्षा प्राप्त होगी. इन स्मार्ट रूम पर 13 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है. आपको बता दें कि यहां पर बच्चों को कंप्यूटर से जुड़ी जानकारी दी जाएगी और कंप्यूटर चलाना भी सिखाया जाएगा.
स्कूल बिल्डिंग के हर कोने से सीखेंगे बच्चे
विद्या के आलय- विद्यालय को इस तरह से बनाया व सजाया जा रहा है कि जब बच्चे स्कूल के किसी भी हिस्से में जाएंगे तो उन्हें मोटिवेशनल कोट्स व पेंटिग के जरिए कुछ न कुछ सीखने को अवश्य मिलेगा. कलात्मकता को बढ़ावा देने के लिए “बाला योजना” के तहत दीवारों के साथ-साथ सीढ़ियों को भी आकर्षक बनाया जा रहा है.
माना जा रहा है कि इस प्रयोग से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में पढ़ने की रुचि जागेगी और क्या पता इन्हीं स्कूलों में से पढ़कर कोई राष्ट्रपति या महान वैज्ञानिक बन जाए…