अच्छे भविष्य के लिए वर्तमान में शिक्षा नीति में सुधार की ज़रूरत है. कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे इसके लिए हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने नई शिक्षा नीति 2020 पर एक उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में विचार विमर्श के बाद इस बात पर सहमति बनी है कि साल 2021 से IIT,NIT और सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्र अपनी मातृभाषा में पढ़ाई कर सकेंगे. और जब बच्चों को अपनी भाषा में पढ़ाई करने की आजादी मिलेगी, जिससे छात्रों में सीखने और समझने की क्षमता अधिक हो जाएगी.
चुनिंदा संस्थानों का हुआ चयन
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि नई शिक्षा नीति की शुरुआत अगले साल यानी 2021 के शैक्षणिक सत्र से की जाएगी. इस नई नीति के द्वारा छात्र हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ बंगाली, तमिल, कन्नड़, तेलगू, मलयालम, असमिया, कश्मीरी, गुजराती, मराठी, पंजाबी आदि भाषाओं में भी शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे. इसके अलावा इंजीनियरिंग प्रोग्राम की किताबे भी इन सभी भाषाओं में पढ़ने को मिलेंगी.
देखा जाए तो कई वर्षों के बाद इस तरह का कदम किसी सरकार ने छात्रों के लिए उठाया है. आपको यह भी जानकारी देना चाहेंगे कि मौजूदा सरकार ने कक्षा आठवी तक की पढ़ाई मातृभाषा में अनिवार्य कर दी है. यही नहीं सरकार की इस नई नीति के द्वारा इंजीनियरिंग व मेडिकल के छात्र भी अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं.
बीते गुरुवार को शिक्षा की नई नीति की बैठक में स्कॉलरशिप व फैलोशिप के सिलसिले पर भी चर्चा की गई. केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ने यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि स्कॉलरशिप और फैलोशिप की धनराशि समय पर जारी की जाए, उसमें कोई भी ढिलाई न हो. साथ ही कोई भी स्टूडेंट स्कॉलरशिप और फैलोशिप से जुड़ी जानकारी चाहता है तो उसे बता दें कि सरकार उनके लिए जल्द ही हेल्पलाइन नंबर की शुरूआत करने जा रही है. और अलग-अलग युनिवर्सिटी में जिन छात्रों ने अपनी शिकायत दर्ज की है उनके लिए हल निकालने का भी निर्देश दिया है.