भारत के पूर्वी तट पर स्थित राज्य उड़ीसा के कोणार्क में भगवान सूर्य को समर्पित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जिसे कोणार्क सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है। सूर्य मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर चंद्रभागा समुद्रतट है। यह स्थल उड़ीसा के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। चंद्रभागा समुद्र तट पर हर साल माघ सप्तमी को एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे चंद्रभागा मेला कहा जाता है। यह मेला करीब सात दिनों तक आयोजित किया जाता है। चंद्रभागा मेले की गिनती ओडिशा के सबसे लोकप्रिय और रंगीन मेलों में की जाती है।
चंद्रभागा मेले का अत्यंत धार्मिक महत्व है। इसका आयोजन भगवान सूर्य के सम्मान में किया जाता है। मेले के दौरान देश के अलग-अलग कोनों से श्रद्धालु चंद्रभागा समुद्र तट पर डुबकी लगाने और भगवान सूर्य की उपासना करने के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि माघ सप्तमी को चंद्रभागा समुद्र तट पर स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और चर्म रोग से मुक्ति मिल जाती है। एक अन्य मान्यता के अनुसार माघ सप्तमी को यहां स्नान करने से सभी तीर्थों की यात्रा का फल प्राप्त होता है। माघ सप्तमी पर भगवान सूर्य की पूजा करने के साथ-साथ नवग्रह मंदिर और शिव मंदिर में जाकर भी पूजा अर्चना करते है। इसके अलावा श्रद्धालु इस दिन तट पर ही दालमा, भात, सूखी मछली बनाकर केले के पत्ते पर खाते हैं।
मेले से कुछ ही दूरी पर कोणार्क का प्रसिद्ध प्राचीन सूर्य मंदिर है। मंदिर का इतिहास करीब 750 साल पुराना है। अति प्राचीन धार्मिक स्थल होने के बावजूद आज भी इसकी विशालता, कलात्मकता, पत्थरों पर उकेरी गई आकृतियां, मंदिर की संरचना बहुत ही आकर्षक लगती है। मंदिर को देखकर ऐसा लगता है जैसे भगवान सूर्य रथ पर सवार होकर कहीं जा रहे हैं। ख़ास बात यह है कि जितना खूबसूरत यह मंदिर है उतना ही मनमोहक यहां का वातावरण है। पिकनिक मनाने, तैराकी करने और घूमने-फिरने के लिए भी यह एक अच्छी जगह है। यहां का प्राकृतिक वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसके अलावा मठ और म्यूज़ियम जैसी आकर्षक चीजें भी है।