भारत के एक ऐसे सम्राट सम्पूर्ण धरती के बड़े हिस्से पर था जिनका साम्राज्य

भारतवर्ष की धरती वीरता के अनोखे किस्सों से भरी हुई है. यहाँ ऐसे ऐसे राजाओं का शासन रहा है, जिन्होंने अपनी सीमाओं में कभी दुश्मनों को घुसने तक नहीं दिया. और अपनी वीरता की विजय पताका को पूरी दुनिया में लहराया. ऐसे ही एक शासक थे राजा चंद्रगुप्त मौर्य, जो भारत के वो महान राजा थे जिसने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी. लगभग 24 साल तक शासन करने वाले चन्द्रगुप्त मौर्य भारत के पहले सम्राट कहे जाते हैं. और सम्राट अशोक के दादाजी थे. उन्होंने सम्पूर्ण भारत को एकजुट किया और भारत के महान रणनीतिकारों में से एक आचार्य चाणक्य की सहायता से अखंड भारत के महान सम्राट बने.

चन्द्रगुप्त के सिहासन संभालने से पहले, सिकंदर ने उत्तर पश्चिमी भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण किया था, और 324 ईसा पूर्व में उसकी सेना में विद्रोह की वजह से आगे का प्रचार छोड़ दिया. जिससे भारत-ग्रीक और स्थानीय शासकों द्वारा शासित भारतीय उपमहाद्वीप वाले क्षेत्रों की विरासत सीधे तौर पर चन्द्रगुप्त ने संभाली. चंद्रगुप्त ने अपने गुरु चाणक्य (जो चन्द्र गुप्त के प्रधानमंत्री भी थे) के साथ, एक नया साम्राज्य बनाया, राज्यचक्र के सिद्धांतों को लागू किया, एक बड़ी सेना का निर्माण किया और अपने साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार करना जारी रखा. और अपनी कुशल नीतियों के माध्यम से बड़े बड़े योद्धाओं को अपने सामने नतमस्तक कर दिया.

सिकंदर के आक्रमण के समय लगभग समस्त उत्तर भारत को धनानंद द्वारा शासित किया जा रहा था. चाणक्य तथा चंद्रगुप्त ने नंद वंश के साम्राज्य का अंत करने का निश्चय किया और उसमें कामयाब भी रहे.

चंद्रगुप्त मौर्य का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध धनानन्द के साथ उत्तराधिकार के लिए हुआ. और वो हासिल करने के बाद चंद्रगुप्त ने अपने साम्राज्य का विस्तार दक्षिण में भी किया.

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चंद्रगुप्त का साम्राज्य बहुत बड़े क्षेत्र में था. इसमें लगभग संपूर्ण उत्तरी और पूर्वी भारत के साथ साथ उत्तर में बलूचिस्तान, दक्षिण में मैसूर तथा दक्षिण-पश्चिम में सौराष्ट्र तक का विस्तृत भूप्रदेश सम्मिलित था. इनका साम्राज्य विस्तार उत्तर में हिंद्कुश तक दक्षिणमें कर्नाटक तक पूर्व में बंगाल तथा पश्चिम में सौराष्ट्र तक था. भारतवर्ष के महान वीर राजाओं और योद्धाओं में राजा चन्द्रगुप्त मौर्य का नाम हमेशा अमर रहेगा.