भारतीय इतिहास के सबसे ठोस सबूत माने जाते हैं जगह-जगह बने किले। ये बताते हैं कि कहां किस काल में किस राजा का शासन था और देश के इतिहास में उनका क्या योगदान रहा है। हमारे देश में सदियों पुराने कई किले हैं, जो हमारे सशक्त इतिहास की कहानी खुद ही बयां करते हैं। ऐसा ही एक किला राजघरानों के लिए प्रसिद्ध प्रदेश राजस्थान के जयपुर शहर में है। सोलहवीं शताब्दी का बना यह किला आज सिटी पैलेस के नाम से जाना जाता है। इसे स्थापित करने की सलाह एक संत ने राजा को दी थी। किला का भव्य परिसर है, जिसमें 400 वर्ष पुराने भवनों का बड़ा समूह है।
सिटी पैलेस का इतिहास शुरू से ही जयपुर शहर और उसके शासकों के इतिहास से जुड़ा हुआ है। इसकी शुरुआत महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय से होती है, जिन्होंने 1699 से 1744 तक शहर पर राज किया था। महल के निर्माण का श्रेय सबसे पहले उन्हीं को दिया जाता है, क्योंकि उन्होंने ही महल के चारों ओर कई एकड़ में दीवार के निर्माण की शुरुआत की थी।
पहले महाराजा आंबेर (इसे आमेर भी कहा जाता है) से जयपुर पर शासन करते थे, जो जयपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर है। 1727 में आंबेर में पानी की कमी आ गई थी, इस कारण उन्होंने जयपुर को विकसित कर नई राजधानी बना ली।
उन्होंने वास्तुशास्त्र के अनुसार इस शहर को 6 अलग-अलग भागों में बांटने की योजना बनाई थी। यह सब उन्होंने अपने सलाहकार विद्याधर भट्टाचार्य के कहने पर किया था, जो नैनीताल में रहने वाले एक बंगाली आॅर्किटेक्ट थे। शुरू में वे आंबेर के खजाने का हिसाब-किताब रखते थे, लेकिन बाद में राजा ने उन्हें दरबार का मुख्य आर्किटेक्ट बनाया था। जयसिंह की मृत्यु होने के बाद 1857 के सिपॉय विद्रोह के बाद महाराजा राम सिंह ने खुद को शाही शासक के रूप में स्थापित किया। शासक की योजनाओं के अनुसार ही शहर को पिंक सिटी उर्फ गुलाबी शहर का नाम दिया गया। तभी से यह रंग जयपुर शहर की पहचान बन चुका है।
महाराजा माधो सिंह द्वितीय द्वारा दत्तक लिए हुए पुत्र मान सिंह द्वितीय जयपुर के अंतिम महाराजा थे, जिन्होंने जयपुर के चंद्र महल से शासन किया था। शुरू से ही यह महल शाही परिवारों के रहने की जगह बन चुका है, बल्कि 1949 में राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर के साथ जयपुर साम्राज्य के इंडियन यूनियन में शामिल होने के बावजूद यहां शाही परिवार ही रहते थे। इसके बाद जयपुर को राजस्थान की राजधानी बनाया गया और मान सिंह द्वितीय को राजप्रमुख बनाया। बाद में उन्हें स्पेन में भारत का राजदूत भी बनाया गया।
सिटी पैलेस परिसर में बहुत से महल, बगीचे, मंडप और मंदिर हैं। परिसर के अंदर की सबसे प्रसिद्ध धरोहरों में चंद्र महल, मुबारक महल, मुकुट महल, महारानी महल, श्री गोविंद देव मंदिर और म्यूजियम शामिल है। सिटी पैलेस के मुख्य प्रवेश द्वारों में वीरेंद्र पोल, उदय पोल और त्रिपोलिया गेट शामिल हैं। खास बात यह है कि आज भी त्रिपोलिया गेट से केवल शाही परिवार के लोग ही प्रवेश करते हैैं। इस तरह सिटी पैलेस राजस्थान की शाही शान का अद्भुत उदाहरण है।