सनातन धर्म में हर संस्कृति और काल की कोई ना कोई ख़ास बात है. चाहे त्यौहार हों या श्राद्ध सबका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है. इन दिनों पितृपक्ष का समय चल रहा है. पितृ पक्ष पितृदोष दूर करने और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. अगर पितरों का किसी कारणवश श्राद्ध नहीं कर पाते तो उनकी आत्मा को शांति नहीं मिल पाती. इसी वजह से पितरों को तर्पण का बहुत महत्व है.
यही वो समय है जब मृत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष कर्मकांड किए जाते हैं. श्राद्ध पक्ष में लोग दिल खोलकर दान पुण्य करते हैं. माना जाता है श्राद्ध पक्ष के दौरान किए गए दान-पुण्य पितरों तक पहुंचते हैं और परिवार वालों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो श्राद्ध पक्ष के दौरान इसके निदान हेतु किए गए उपाय विशेष रूप से फलदायी साबित होते हैं. पितृपक्ष के समय लोग ब्राह्मण भोज और कौवों को भोजन करवाते हैं. जिसका विशेष महत्व है. कहते हैं, हमारे पूर्वज ही इस समयकाल में कौओं के रूप में धरती पर आते हैं. और उनके द्वारा जो भोजन ग्रहण किया जाता है, वो हमारे पितरों तक पहुँच जाता है. और अगर इस समय में किसी कारणवश कौओं को भोजन नहीं दिया गया, तो वो हमारे पूर्वजों को नाराज करने की वजह बन जाता है. इस विशेष समय में हमें कौओं के द्वारा कुछ संकेत मिलते हैं. जिससे आने वाले समय में हमारे साथ क्या क्या होने वाला है, इसका संकेत भी मिलता है.
कहा जाता है कि, यदि श्राद्ध पक्ष के दौरान कोई कौवा अपनी चोंच में फूल या पत्तियां लिए बैठा या उड़ता दिखाई दे तो ये बहुत जल्द हमारी मनोकामनाओं के पूर्ण होने का संकेत है. और यदि इस विशेष समय में गाय की पीठ पर कोई कौवा बैठा नजर आए तो यह धन के आने का संकेत है. ठीक इसी तरह पितृ पक्ष के समय अगर आपको अनाज पर कोई कौवा बैठा नजर आता है तो यह सुनिश्चित है कि, आपके पास हमेशा सुख समृद्धि का निवास रहेगा. इसके अलावा भोजन के बाद कोई कौआ किसी ऐसी जगह जाकर बैठ जाए जहाँ पानी है तो, इसका मतलब है आपको कोई खोई हुई चीज़ जल्दी मिलने वाली है.
श्राद्ध पक्ष के दौरान कौओं को संतुष्ट करने से सुख मिलता है, और उन्हें प्रताड़ित किया तो जीवन में अशांति आने से कोई नहीं रोक सकता, इसलिए इस समय अपने सभी पूर्वजों का स्मरण करके ईश्वर का ध्यान करना चाहिए.