जब यमराज ने कहा हमारा काम है केवल प्राण लेना, लेकिन मृत्यु को हराना केवल ऐसे है मुमकिन

नए साल की शुरूआत हुए आज 15 दिन हो गए हैं. नए साल के उपलक्ष्य में आपने अपने दोस्तों व सगे संबंधियों को बधाई संदेश दिए होंगे और आपको भी बधाई संदेश मिले होंगे. शायद यह भी सुनने मिला होगा कि इस बार नया क्या है, जो भी ऐसा प्रश्न पूछे उसे आप कहना आप बहुत भाग्यशाली हैं जिन्हें आज का दिन नसीब हो रहा है. बीते वर्ष ज्यादातर लोग महामारी के शिकार हुए, कुछ ने तो अपनों को खो दिया.. ऐसे में नया यह है कि आप इस समय भी मौजूद हैं. और इससे बड़ी बात क्या होगी.. हां, एक बात तो है पिछले साल शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो परेशान नहीं रहा हो. तो अब नया वर्ष आरंभ हो चुका है, इतिहास से सीखते हुए मौजूदा वक्त में मेहनत करें जिससे भविष्य उज्जवल हो.

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आज के इस आर्टिकल में हम बात कर रहे हैं सत्यवान और सावित्री की. इस कहानी के अनुसार सत्यवान पेड़ से गिर गए थे. इस वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी. यहां तक की यमराज उन्हें साथ ले जा चुके थे. और फिर उनकी पत्नी सावित्री के मन में विचार आया कि आखिर उनके पति की मृत्यु किस वजह से हुई? इस पर यमराज सावित्री से कहते हैं कि यह देह पंचतत्व से बनी है, हम केवल इस शरीर से प्राण निकालते हैं और फिर यह शरीर पंचतत्व में ही विलीन हो जाता है. आगे यमराज, सावित्री से कहते हैं कि इंसान के अच्छे व बुरे कर्मों के आधार पर उसके जीवन की गति को तय किया जाता है. लेकिन जो भी व्यक्ति नियम से विधिपूर्वक भगवान की पूजा या आराधना करता है तो वह मृत्यु से बच सकता है. अर्थात सच्चे मन से की गई पूजा, मृत्यु को हरा सकती है. और फिर सावित्री जी की सच्ची भक्ति को देखकर यमराज ने उनके पति को लौटा दिया.

अर्थात, ये जीवन हैं कौन कब आएगा या जाएगा ये कोई नहीं कह सकता, लेकिन जीवन को कैसे जीना है यह आपके हाथ में है. बहरहाल लोगों से अच्छे संबंध बनाएं, व्यवहार सही रखें बाकी सब तो मोह माया है.