पति-पत्नी का रिश्ता सिक्के के दो पहलू की तरह होता है. एक दूसरे के बिना रहना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन देखा गया है कि अक्सर गलतफहमी या अनबन के कारण रिश्ते में गाँठ लग जाती है. छोटी सी लापरवाही भी जी का जंजाल बन जाती है. यहां पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों एक दूसरे का सम्मान करें और विश्वास रखें. और बिना एक दूसरे का पक्ष जाने किसी भी निर्णय पर न पहुंचे. अन्यथा हालात और बद से बदतर हो जाते हैं. वैसे भी कहा जाता है कि इस दुनिया में सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है पर एकबार किसी का विश्वास खो दिया तो उसे फिर से जीतना नामुमकिन हो जाता है.
आज के इस आर्टिकल में ययाति और देवयानी की कहानी के जरिए बताते हैं, कि पति और पत्नी के रिश्ते में अगर विश्वास नहीं रहे तो बात किस हद तक गुजर जाती है. यही कहानी आप श्रीमद्भागवत में भी पढ़ सकते हैं.
बात महाभारत के समय की है जब ययाति की एक गलती ने उसे जवानी में ही बना दिया था वृद्ध.
पूरी कहानी इस प्रकार है-
दैत्य गुरु शुक्राचार्य की सुपुत्री देवयानी की शादी ययाति से हुई थी. मान्यताओं के अनुसार इन दोनों की शादी के बाद एक शर्त के चलते दैत्यों की राजकुमारी शर्मिष्ठा भी देव्यानी के साथ दासी के रूप में रहने लगी. इस के चलते शुक्राचार्य ने ययाति से एक वचन मांगा कि वो कभी भी देवयानी यानि उनकी सुपुत्री के अलावा किसी और के साथ संबंध नहीं रखेगा. ययाति ने शुक्राचार्य को वचन दिया कि वे उनकी बात का पालन ज़रूर करेंगे.
कुछ समय बाद जब देवयानी गर्भवती हुई और इस बात का पता जब शर्मिष्ठा को लगी तो वह देवयानी से चिढ़ने लगी. और उसने निश्चय किया कि वो अपनी खुबसूरती के जरिए ययाति को अपने प्रति आकर्षित करके खुद के जीवन को भी सुखी बनाएगी. अपनी योजना के अनुसार ययाति को अपनी खूबसूरती से वश में कर लिया, और ययाति से वह वचन टूट गया जो उसने शुक्राचार्य को दिया था.
इस बात को सुनकर शुक्राचार्य क्रोधित हो गए और ययाति को शाप दिया कि “वह युवा अवस्था में ही वृद्ध हो जाएगा.” इस शाप के बाद ययाति वृद्ध हो गए. फिर ययाति ने शुक्राचार्य से क्षमा मांगी. दैत्य गुरू ने अपने दिए हुए शाप को खत्म तो नहीं किया पर मुक्ति का तरीका बता दिया. लेकिन ययाति की इस गलती ने उसके जीवन से सुख, विश्वास और सम्मान खत्म कर दिया.
अर्थात, इस जीवन में सब कुछ हासिल किया जा सकता है लेकिन विश्वास को जीतना मुश्किल होता है.