सनातन धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक दिवाली की तैयारी हो चुकी है. हर जगह घरों में रौनक नज़र आ रही है. हर साल इस त्यौहार की तैयारियां धूमधाम से की जाती हैं. हालांकि पिछले वर्ष कोरोना महामारी के चलते दीवाली के त्यौहार में वो बात नहीं थी, जो हर साल होती है, लेकिन फिर भी लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं थी. इस बार कोरोना का असर थोड़ा कम हुआ है, और लोग पूरे जोश के साथ दीवाली की खुशियाँ मनाने के लिए तैयार हैं.
पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार बाज़ारों में भी काफी रौनक है. लोग जी भरकर खरीददारी कर रहे हैं. पांच दिनों का ये त्यौहार कल 2 नवम्बर धनतेरस से शुरू हो जाएगा. कई घरों में साफ़ सफाई हो चुकी है, तो वहीँ काफी घरों में अभी भी चल रही है. महानगरों में काम करने वाले लोग त्यौहार के इस मौके पर अपने अपने गाँव और कस्बे में पहुँच चुके हैं. इंसान कहीं भी काम करे लेकिन यही चाहता है कि वो त्यौहार अपने परिवार के साथ ही मनाये. माँ बाप भी अपने बच्चों का इंतज़ार करते हैं.
सनातन धर्म जीने का एक तरीका है. इसमें हर त्यौहार पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है. दीवाली, होली, रक्षा बंधन, मकर संक्रांति, पोंगल, जन्माष्टमी, नवरात्री या गणेशोत्सव त्यौहार कोई भी हो उसमें सिर्फ और सिर्फ खुशियाँ झलकती हैं. लोग एक दूसरे से मिलकर अपनी खुशियाँ बाँटते हैं. दरअसल त्यौहार इंसान के जीवन के लिए एक सुकून भरे ठहराव की तरह होते हैं. जहाँ जीवन की भागदौड़ में सभी व्यस्त रहते हैं, तो वहीँ आने वाले त्योहारों के इंतज़ार में खुशियों का उत्साह दोगुना हो जाता है. एक बार फिर से दीवाली का ये त्योहार हम सबके लिए खुशियों का मीठा सा सन्देश लेकर आ रहा है. और हम धूमधाम से दीवाली के स्वागत के लिए तैयार हैं.