तो इसलिए कार्तिक मास की हुई शुरूआत

धर्मशास्त्र में साल के सभी 12 महीनों में कार्तिक मास को महत्वपूर्ण माना गया है. शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में तारकासुर नामक असुर का वध भगवान शिव के पुत्र स्कंद कार्तिकेय ने किया था, तब से कार्तिक मास की शुरूआत हुई. इस वर्ष 14 नंवबर को दीपावली की पूजा की जाएगी. और अगले दिन अमावस्या है. इस दिन स्नान और दान करना शुभ होता है. कहते हैं कि पितरों के उद्देश्य से की गई पूजा और दान कर्म करने से घर में सकारात्मक माहौल बनता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

अमावस्या के दिन स्नान-दान करना होता है शुभ

अगर आप कार्तिक माह की अमावस्या के दिन, दान और स्नान करते हैं तो सारे पापों से मुक्त हो सकते हैं, स्कंद पुराण और भविष्य पुराण में भी ये बताया गया है. बताई गई है. और इस माह में नहाने वाले पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर नहा सकें, तो ये बहुत उत्तम माना जाता है.
कहते हैं इस दिन दान करने से रोग, घर के क्लेश, व नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है. भविष्य, पद्म और मत्स्य पुराण के अनुसार कार्तिक मास में ऊनी कपड़े, दीपक व मिठाईयां आदि दान करना शुभ होता है. इसके अलावा आप अपनी स्वेच्छा अनुसार कुछ भी दान कर सकते हैं, हर तरह का दान अक्षय फल देने वाला होता है.

पुराणों में कार्तिक अमावस्या का वर्णन
1. ब्रह्म पुराण के अनुसार, कार्तिक अमावस्या के दिन माता लक्ष्मीजी पृथ्वी पर आती हैं.
2. पद्म पुराण के अनुसार, इस दिन दीपदान करने से अक्षय पुण्य मिलता है.
3. स्कंदपुराण के अनुसार, गीता पाठ और अन्न दान करना शुभ होता है. इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाना शुभ माना जाता है.

उपर बताई गईं बातों पर ध्यान ज़रूर दें कहते हैं इससे हर तरह के पापों को खत्म किया जा सकता है. अन्नदान से सुख की वृद्धि होती है. अन्नदान करने वाले चिरंजीवी होते हैं. अन्नदान को महादान भी कहा जाता है. कहते हैं कि अन्नदान करने वाले व्यक्ति को हजारों गाय दान करने जितना फल मिलता है.