आपने गौर किया होगा कि शुभ कार्य या हवन इत्यादि किया जाता है तो उसमें कभी बांस की लकड़ी का इस्तेमाल नहीं किया जाता, यहां तक कि अंत्येष्टि, श्राद्ध कर्म आदि जैसे कार्यों में भी बांस की लकड़ी का उपयोग नहीं किया जाता है. यज्ञ और हवन में विभिन्न प्रकार लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. पर बांस नहीं.
भारतीय संस्कृति के अनुसार, “हमारे शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित माना गया है. अर्थी के लिए बांस की लकड़ियों का इस्तेमाल तो किया जाता है परंतु चिता देने से पहले इन लकड़ियों को हटा लिया जाता है. ऐसी मान्यता हैं कि बांस जलाने से पितृ दोष लगता है.
इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण को आपने देखा होगा जिनके हाथ में बांसुरी होती है. वह बांसुरी भी बांस की बनी होती है. साथ ही शादी का मण्डप भी बांस से बनाया जाता है. अगर आप भूत,प्रेत या बुरी आत्माओं से दूर चाहते हैं तो अपने आसपास बांस का पौधा लगाइए.
वैज्ञानिकों का मानना है कि बांस में लेड व हेवी मेटल अधिक मात्रा में पाया जाता है. और अगर इसे जलाएंगे तो इससे लेड ऑक्साइड बनता है जिसकी वजह से वातावरण दूषित होता है. ऐसे में श्वांस के माध्यम से यह हवा यदि आपके शारीर में प्रेवश करती है तो जान जा सकती है. इसके कारण न्यूरो और लिवर संबंधी परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है.
रोज सुबह-शाम आप पूजा करते होंगे. उस पूजा में आप जिस अगरबत्ती का इस्तेमाल करते हैं अगर वह बांस की बनी है तो उसे तुरंत इस्तेमाल करना बंद कर दें. क्यों कि इसका धुंआ शरीर के लिए सही नहीं है. फेंगशुई में लंबी आयु के लिए बांस के पौधे बहुत शक्तिशाली प्रतीक माने जाते हैं. यह अच्छे भाग्य का भी संकेत देता है, इसलिए उसे जलाना फेंगशुई की दृष्टि से अशुभ है.