भगवान शिव, महान तपस्वी, अपनी जटाओं में गंगाजी को समेट लिया था जिन्होंने, और फिर आवेग नियंत्रित करके उन्हें धरती पे भेजा, सृष्टि की हर गतिविधि पर रहती है उनकी नज़र, संसार की भलाई हेतु समस्त विपदाओं को अपने ऊपर लेने के लिए हर बार सबसे आगे खड़े हो जाते हैं शिवजी. उन्हें समर्पित है सावन का महीना, भगवान भोलेनाथ के उपासक पूरे सावन के महीने सच्चे हृदय से शिव की भक्ति और आराधना करते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी कार्य हैं जो सावन के महीने में नहीं करना चाहिए.
सावन मास विशेष तौर पर बरसात का महीना होता है, कहते हैं वर्षा होने से सूरज और चन्द्रमा दोनों की शक्ति का असर कम हो जाता है, जिसके कारण मौसम में उमस रहती है. पृथ्वी भी बहुत गरम रहती है, और इसी वजह से बीमारियाँ फैलने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए इस महीने में विशेष तौर पर सावधानी बरतनी चाहिए.
इस महीने में भोजन का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है, ऐसा भोजन करना चाहिए जो आसानी से पच सके, रात का रखा हुआ खाना नहीं खाना चाहिए, और दूध से बने पदार्थों का उपयोग भी बहुत सावधानी से करना चाहिए, विशेषकर दही का सेवन जितना हो सके कम ही करें, और मसालेयुक्त पदार्थों से भी बचना चाहिए.
पीने के पानी के मामले में सावन में बहुत सावधानी रखने की ज़रुरत होती है. पूरी तरह स्वच्छ पानी ही पीना चाहिए, और अगर हो सके तो उबालकर पानी पीना ज्यादा अच्छा होगा.
नशीले पदार्थों का सेवन भी नहीं करना चाहिए. मांस मदिरा आदि का बिलकुल त्याग करके, सात्विक भोजन ही करना चाहिए.
पूजा पाठ और धार्मिक कार्यों के लिए सावन का महीना बहुत पावन माना जाता है, क्रोध पर भी काबू रखना चाहिए, और भगवान का स्मरण करना चाहिए.
अगर ऐसे कुछ नियम अपनाए जाएँ, तो इंसान का चित्त शांत रहता है, और जीवन में सफलता के मार्ग खुलते हैं.