अगर आप श्राद्ध नहीं कर पाए, तो ये जरूर करें..

शायद आप जानते होंगे कि आश्विन माह के पितृ अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष श्राद्ध अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन पितृ पक्ष समाप्त होते हैं. सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण करना जरूरी होता है. अगर नहीं करेंगे तो श्राद्ध को अधूरा माना जाता है.

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शास्त्रों के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध नियम अनुसार करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. ऐसा मानना है कि इस दिन सभी पितृ आपके घर के द्वार पर आते हैं. इसलिए, वो जब आपको ये सब करते हुए देखेंगे तो बहुत खुश होंगे.
सर्वपितृ अमावस्या के दिन इन बातों का रखें ध्यान:

श्राद्ध कर्म इस प्रकार हैं-
गरूड़ पुराण के प्रेत कल्प में नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि, पार्वण, सपिंडन, गोष्ठ, शुद्धि, कर्मांग, दैविक, यात्रा और पुष्टि, दाह संस्कार की विधि, अस्थि संचय की विधि, दशगात्र की विधि, मलिनषोडशी, मध्यमषोडशी श्राद्ध, उत्तमषोडशी श्राद्ध, नारायणबलि श्राद्ध, सपिण्डी श्राद्ध आदि सभी औधर्वदैहिक श्राद्ध पिण्डददान, तर्पण के बारे में विस्तार पूर्वक उल्लेख किया गया है.

पिंडदान
सर्वपितृ अमावस्या वाले दिन अगर आप पिंडदान करते हैं तो पितर आप से अवश्य खुश होंगे और आशीर्वाद देंगे. पिंड में चावल, घी, गाय का दूध, गुड और शहद मिलाकर रखें. फिर आंखे बंद कर पितरों को याद करें और पिंड उन्हें समर्पित करें.

तर्पण
शुद्ध जल को एक लौटे भर लें और उसमें काले तिल, जौ, कुशा और सफेद फूल मिलाएं, फिर पितरों को तर्पण करें. और हां, पिंड बनाने के बाद कुशा, जौ आदि को हाथ में लेकर संकल्प करें. संकल्प करने के बाद इस मंत्र को अवश्य पढ़ें, “ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।।’
तर्पण को छ: भागो में बांटा गया है, 1. देव तर्पण, 2.ऋषि तर्पण, 3.दिव्य मानव तर्पण, 4 दिव्य पितृ तर्पण, 5. यम तर्पण, 6. मनुष्य पितृ दर्पण शामिल हैं. इन नामों से तर्पण किया जाता है.

बलि
यहां पर बलि का मतलब भोजन कराने से है. सर्वपितृ अमावयस्या में गोबलि, श्वानबलि, काकबलि और देवादिबलि कर्म करने चाहिए. यहां पर इसका मतलब यह है कि इन सभी से जुड़े हुए मंत्रो का उच्चारण करना चाहिए और फिर चींटियों को, कौवों को, कुत्तों को, और गायों को भोजन कराना चाहिए. ऐसा मानना है कि ये सभी जीव यम के करीब होते हैं ऐसे में अगर ये प्रसन्न होंगे तो आप के उपर आने वाली परेशानी भी कम होगी.

ब्राह्मण भोज:
‘ब्राहमण भोज’. ब्रहामणों को भोजन कराएं, उनके पैर छू कर आशीर्वाद लें. ध्यान रहे भोजन सिर्फ शाकाहारी हो. भोजन के पश्चात अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा दें.

श्राद्ध का समय
जब श्राद्ध का समय चल रहा हो तब तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. श्राद्ध के समय पूजा पाठ में ध्यान लगाएं, अच्छे कार्य करें. बस किसी का दिल/मन नहीं दुखाना चाहिए. और हां, इस समय कोई भी शुभ कर्म न करें और अगर करना भी है तो दोपहर 11:30 बजे से 1 बजे की बीच में ही करें.

दिव्य पितरों को पूजें करें
काव्यवाडनल, सोम, अर्यमा और यम ये चार मुख्य गण प्रधान हैं दिव्य पितरों में. पितरों के प्रधान हैं अर्यमा, इन्हें यमराज के न्यायधीश भी माना जाता है. इसके अलावा इन दिव्य पितरों का पूजन करें- अग्रिष्वात्त, बहिर्पद आज्यप, सोमेप, रश्मिप, उपदूत, आयन्तुन, श्राद्धभुक व नान्दीमुख. आदित्य, वसु, रुद्र तथा दोनों अश्विनी कुमार भी केवल नंदीमुख पितरों को छोड़कर शेष सभी को तृप्त करते हैं.

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गीता का पाठ
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए भागवत गीता का पाठ करें. गीता के सातवे अध्याय का पाठ करें.

पीपल की पूजा करें
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं. पूजा करने से पहले एक लौटे में दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें और उसे पीपल के पेड़ पर अर्पित कर दें.

प्रायश्चित करें
शास्त्रों में मृत्यु के बाद ओर्ध्वदैहिक संस्कार, पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध, एकादशाह, सपिंडीकरण, अशौचादि निर्णय, कर्म विपाक आदि के द्वारा पापों के विधान की प्रक्रिया को प्रायश्चित कहा जाता है. जैसे त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था. और रावण बहुत बड़े ज्ञानी पंडित थे. ऐसे में जब रावण का वध हुआ तब राम जी को ब्रह्महत्या का दोष लगा था, इसके बाद प्रभु राम ने प्रायश्चित करने के लिए कपाल मोचन तीर्थ में स्नान और घोर तप किया था. तब जाकर उन्हें ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति मिली थी.

प्रभु राम और कृष्ण की भक्ति की जाए तो मन में गलत विचार नहीं आएंगे. साथ ही आप ऊर्जावान बनते हैं. इसलिए नियमित रूप से इनकी पूजा व अर्चना करें और नाकारात्मक ऊर्जा से दूर रहें.

इन विशेष स्थानों पर करें श्राद्ध कर्म-
यदि हो सके तो सभी पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध के सारे काम प्रयागराज, काशी, गया, ब्रह्मकपाली में करें तो उन्हें निश्चित ही मुक्ति मिल जाएगी.