इन पंचकन्याओं को मिला था ब्रह्माजी का वरदान

रामायण और महाभारत काल में कुल मिलाकर पांच कन्याएं ऐसी थीं, जिन्हें पंचकन्याएँ कहा जाता है. दरअसल इन महिलाओं का विवाह हुआ था फिर भी इन्हें कन्या माना जाता है. इन महिलाओं को ब्रह्माजी ने चिर यौवन का वरदान दिया था. रामायण काल में तीन और महाभारत काल में दो ऐसी महिलाएं थीं. इन कन्याओं में तीन त्रेतायुग की और दो द्वापर युग की महिलायें शामिल हैं. त्रेतायुग में जिन्हें कन्या माना गया है, उनके नाम हैं अहिल्या, मंदोदरी और तारा और द्वापर युग में जो कन्याएं मानी गईं हैं उनके नाम हैं द्रोपदी और कुंती।

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अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थीं, और उन्हें चिर यौवन का वरदान स्वयं ब्रह्माजी ने दिया था. इंद्रदेव ने उनके साथ छल करके उनके पति का रूप धारण कर लिया था, और गौतम ऋषि ने उन्हें ऐसा करते हुए देख लिया था. फिर गौतम ऋषि के शाप के कारण अहिल्या पत्थर की बन गईं थीं. बाद में श्रीराम ने उनका उद्धार किया था.

मंदोदरी रावण की पत्नी थीं, लेकिन अपना धर्म जानतीं थीं. उनका रावण के लिए अटूट प्रेम था. उन्होंने रावण को कई बार समझाया कि , वो सीता माता को श्रीराम के पास भेज दे , लेकिन रावण ने उनकी बात नहीं और अंत में जो हश्र हुआ वो सबको पता है.

इसी तरह तारा, वानरराज सुग्रीव की पत्नी थीं, और उसने भी सुग्रीव से कहा था कि , वो श्रीराम की मदद करे और सीताजी को वापस लाने के लिए हर सम्भव प्रयास करें. और इस तरह उन्होंने भी अपना धर्म निभाया।

कुंती पांच पांडव और करण की माँ थीं, और उन्हें देवताओं को बुलाने का मंत्र पता था. ब्रह्माजी के वरदान से वो भी पंचकन्याओं में शामिल थीं. द्रोपदी पाँचों पांडवों की पत्नी थीं. और भगवान कृष्ण की सखी थीं. महाभारत युद्ध में उनकी अहमियत सभी जानते हैं.