डिजिटल माध्यम से अपने भक्तों को दर्शन दे रहे हैं भगवान,कोरोना संकट ने बदला पूजा का तरीका

हमारे ऊपर जब भी कोई संकट आता है तो हम मंदिर, मस्जिद, चर्च या अन्य किसी धार्मिक स्थलों पर जाकर प्रार्थना करते हैं। लेकिन कोरोना एक ऐसी महामारी हैं, जिसने लोगों को धार्मिक स्थलों से ही दूर कर दिया है। कोरोना के कारण दुनियाभर में धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं के आने पर प्रतिबंध लगाया गया है। जहां प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, वहां भी सीमित मात्रा में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जा रहा है। ऐसे में संकट के इस समय में इंटरनेट लोगों के लिए बड़ा सहारा बनकर सामने आया है।

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दरअसल कोरोना महामारी ने भगवान की पूजा करने का तरीका ही बदल दिया है। श्रद्धालुओं के साथ अब भगवान भी डिजिटल हो गए हैं और ऑनलाइन ही श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। श्रद्धालु भी इंटरनेट के जरिए ही भगवान की पूजा कर रहे हैं और आरती में भी शामिल हो रहे हैं। वहीँ धर्म प्रचारक भी अब इंटरनेट के जरिए ही ईश्वर का संदेश लोगों तक पहुंचा रहे हैं।

इस वर्ष देश में श्रद्धालुओं ने रामनवमी, जन्माष्टमी सहित अन्य त्योहार घर पर ही मनाए। जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिरों में होने वाले कार्यक्रमों को श्रद्धालुओं ने इंटरनेट के माध्यम से घर पर ही देखा। कोरोना संकट को देखते हुए राखी पर बहनों ने बाजार जाकर खरीदारी करने के बजाय घर पर ही अपने भाई के लिए राखी और मिठाई बनाई। कुछ ऐसा ही नजारा गणेश महोत्सव पर भी देखने को मिला। इस पर बप्पा के ज्यादातर भक्तों ने घर ही मिट्टी की प्रतिमा बनाकर उसकी स्थापना की। वहीं प्रतिमा का विसर्जन भी तालाबों की बाजार घर पर या कृत्रिम तालाबों में ही किया।

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वैसे देखा जाए तो इंटरनेट के जरिए भगवान के दर्शन करने का यह तरीका नया नहीं है। विदेशों में रहने वाले भारतीय पिछले कई सालों से इंटरनेट पर ही सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, शिर्डी के साईं बाबा सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर होने वाली पूजा को लाइव देखते आ रहे हैं। यही नहीं प्रवासी भारतीय इंटरनेट के जरिए बड़ी मात्रा में मंदिरों को दान भी देते हैं। हालांकि इस बार विदेशों में रहने वाले भारतीयों के साथ-साथ भारत में रहने वाले लोगों को भी इंटरनेट के जरिए ही भगवान के दर्शन करना पड़ रहा हैं। अब देखना यह है कि कोरोना संकट खत्म होने के बाद श्रद्धालु वापस उसी तरह से मंदिरों का रुख करेंगे या ऑनलाइन दर्शन की प्रवृत्ति जारी रहेगी।