10 दिनों तक गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने के बाद मंगलवार को अनंत चतुर्दशी के अवसर पर भक्तों ने बप्पा को विदाई दी। हर बार की तरह इस बार भी महाराष्ट्र में अनंत चतुर्दशी पर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा गया। हालांकि इस बार कोरोना संकट के कारण गणपति बप्पा की विदाई थोड़ी फीकी रही। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी पर सड़को पर ना ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ के नारे सुनाई दिए और ना ही भगवान श्रीगणेश की विशाल मूर्ती के साथ चलने वाला जन-सैलाब दिखाई दिया।
दरअसल इस बार कोरोना संकट के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का ख़ास ख्याल रखा जा रहा है। ऐसे में बप्पा के भक्तों ने भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही गणपति बप्पा को विदाई दी। इसके अलावा इस बार गणपति विसर्जन का तरीका भी बदल गया है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने इस बार नदी या तालाब पर जाने की बजाय छोटे-छोटे कृत्रिम तालाबों में ही मूर्ति का विसर्जन किया। मुंबई में प्रशासन ने जगह-जगह पर कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया था। इसके अलावा सुरक्षा को देखते हुए पूरे मुंबई में 35,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। पुलिस ने लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए गणेश विसर्जन कार्यक्रम संपन्न करवाया। साथ ही प्रशासन द्वारा विसर्जन स्थल पर आरती करने पर प्रतिबंध लगाया गया था। ऐसे में श्रद्धालु अपने घरो पर ही अनुष्ठान करके विसर्जन स्थल पर पहुंचे।
मुंबई के अलावा पुणे में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। यहां भी स्थानीय प्रशासन द्वारा गणपति विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाबो का निर्माण किया गया था। श्रद्धालुओं ने सभी धार्मिक रीति-रिवाजों को पूरा करते हुए गणपति बप्पा को विदाई दी. इस दौरान श्रद्धालु मुंह पर मास्क लगाकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कृत्रिम तालाबो पर बप्पा का विसर्जन करने के लिए पहुंचे।