पहले भी देवी देवताओं के अवतार थे महाभारत के ये 6 पात्र

महाभारत हम सबके जीवन का हिस्सा है. उस्मने इतनी सीख है, जिसे मनुष्य अपनी जीवन शैली में शामिल कर ले तो बहुत सी समस्याओं का अंत हो जायेगा. महाभारत काल में ही भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. और आज वही ज्ञान हम सब अपने जीवन में आत्म सात करते हैं. जिसने इसे समझ लिया वो पास हो जाते हैं, और जो जीवन की आपा धापी में उलझ गया वो उलझन में फंसा ही रह जाता है. पर महाभारत के कुछ ऐसे पात्र भी थे जो पूर्व जन्म में ही देवी देवताओं और ईश्वर का अवतार थे. तो जानते हैं इन पात्रों के बारे में.

भगवान श्रीकृष्ण
भगवान श्रीकृष्ण तो साक्षात् नारायण का अवतार थे, उन्होंने मानव कल्याण के लिए ही मानव रूप में जन्म लिया. और एक बार नहीं बल्कि बार बार पृथ्वी पर अवतरित होकर उन्होंने मनुष्य जाती का उद्दार किया. श्रीकृष्ण के उनके अवतार को को 64 कलाओं और अष्ट सिद्धियों से परिपूर्ण माना जाता है. श्रीकृष्ण के इस अवतार के बाद ही कलियुग का आगमन हुआ था.

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बलराम
जहाँ श्री हरि अवतरित होंगे, वहां उनका शेषावतार तो अवश्य रहेगा. और उनके शेषावतार को शेषनाग भी कहा जाता है. श्रीकृष्ण के भाई बलराम शेषनाग के अवतार थे. कृष्ण के बड़े भाई होने की वजह से उन्हें ‘दाउजी’ के नाम से भी जाना जाता है. महाभारत के युद्ध के दौरान बलराम किसी के पक्ष में नहीं थे और तटस्थ होकर तीर्थयात्रा पर चले गए. पर अंत में जब महाभारत के युद्ध के किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाने की वजह से भीम ने दुर्योधन के साथ युद्ध में नियमों का उल्लंघन किया तो भगवान बलराम को क्रोध आ गया था. जिसे बाद में श्रीकृष्ण ने शांत किया था.

भीष्म
भीष्म पितामह महाभारत में वो मुख्य पात्र थे, जो सबसे सम्मानीय और बुजुर्ग होने के साथ बहुत बड़े योद्धा था. श्रीकृष्ण के बाद अगर महाभारत का कोई सबसे प्रमुख और चर्चित पात्र रहा तो वो हैं ‘भीष्म’ पितामाह. पांच वसुओं में से एक ‘द्यु’ नामक वसु ने देवव्रत के रूप में जन्म लिया था.

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द्रोणाचार्य
कौरवों और पांडवों के गुरु रहे द्रोणाचार्य अत्यंत शक्तिशाली और पराक्रमी योद्धा थे. कहते हैं गुरु द्रोण अर्जुन को दुनिया का सबसे महान धनुर्धर बनाना चाहते थे. और यही हुआ भी, पर उस समय अर्जुन के समकक्ष भी बहुत योद्धा थे. माना जाता है देवताओं के गुरु बृहस्पति देव ने ही द्रोणाचार्य के रूप में जन्म लिया था.

द्रौपदी
महाभारत की सबसे शक्तिशाली महिला पात्र के रूप में द्रोपदी का नाम आता है. भगवान कृष्ण उन्हें अपनी सखी मानते थे. और विपदा के समय उन्होंने सदैव उनकी मदद की. द्रौपदी का जन्म इन्द्राणी के अवतार के रूप में हुआ था.

अर्जुन
महाभारत के युद्ध के सबसे बड़े योद्धा और विजेता के रूप में जाने जाने वाले अर्जुन को पांडु पुत्र माना जाता है, लेकिन असल में वे इन्द्र और कुंती के पुत्र थे. दानवीर कर्ण को भी इन्द्र का अंश ही माना जाता है.

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