नीलगिरी का पेड़ भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, तस्मानिया, उत्तरी और दक्षिणी अफ्रीका व दक्षिणी यूरोप में पाया जाता है। कई जगहों पर नीलगिरी की खेती भी की जाती हैं। नीलगिरी का वानस्पतिक नाम यूकेलिप्टस ग्लोब्यूलस है। नीलगिरी का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसकी पत्तियों में पाए जाने वाले तेल का उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है। खासकर त्वचा के लिए नीलगिरी का तेल बहुत फायदेमंद है। नीलगिरी की पत्तियों की सतह पर गांठ होती हैं, जिनमें से तेल का रिसाव होता है। कई जगह लोग इसकी पत्तियों की चाय बनाकर भी पीते हैं।
नीलगिरी के तेल से साँस लेने में तकलीफ, सर्दी और बुखार की समस्या दूर होती हैं। नीलगिरी के तेल में एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं जो सर्दी और बुखार के प्रभाव को कम करते हैं। नीलगिरी के तेल के सेवन से खांसी से भी राहत मिलती है। खांसी दूर करने की दवाइयों में भी नीलगिरी के तेल का उपयोग किया जाता है। गले में खराश से परेशान व्यक्तियों के लिए नीलगिरी का तेल फायदेमंद होता है। नीलगिरी के तेल में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के गुण होते हैं। इसलिए इसका सेवन करने से मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को राहत मिलती है।
नीलगिरी के तेल में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण त्वचा के संक्रमण को दूर करके दाग-धब्बे मिटाते हैं और त्वचा को मुलायम बनाते हैं। त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए भी नीलगिरी के तेल का प्रयोग किया जाता है। बालों को जड़ से पोषण प्रदान करने और घने बालों के लिए भी नीलगिरी का तेल फायदेमंद होता है। नीलगिरी का तेल बालों में लगाने से सिर में होने वाली खुजली से भी राहत मिलती है। नीलगिरी के तेल से मालिश करने से सूजन और बदन दर्द से राहत मिलती है। नीलगिरी का तेल संक्रमण और जीवाणु रोधक होता है। इसकी मदद से मसूड़ों में सूजन, दांतों का दर्द, दांतों में कीड़े लगना जैसी समस्याओं को दूर किया जाता है।
हालांकि नीलगिरी के तेल का उपयोग करने से पहले हमें जरूरी सावधानी भी रखनी चाहिए। जिन लोगों को नीलगिरी के तेल से एलर्जी हैं, उन्हें इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नीलगिरी के तेल में टॉक्सिक होता है, इसलिए इसका अधिक सेवन भी नुकसानदायक होता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले एक बार चिकित्सक का परामर्श जरूर लेना चाहिए।